Common University Entrance Test: जयपुर। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से आयोजित होने वाले कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) यूजी से राजस्थान की प्रमुख सरकारी यूनिवर्सिटी ने दूरी बना ली है। सीयूईटी परीक्षा के आधार पर देश की 168 यूनिवर्सिटीज में यूजी कक्षाओं में दाखिला मिलेगा, हालांकि पिछले वर्ष के मुकाबले विवि की संख्या बढ़ी है, फिर भी प्रदेश की सरकारी यूनिवर्सिटीज इस परीक्षा में शामिल नहीं हुई हैं। सीयूईटी में भाग लेने के लिए कक्षा 12 के स्टूडेंट्स 30 मार्च तक आवेदन कर सकते हैं। इस वर्ष 168 यूनिवर्सिटीज में 44 सेंट्रल व 31 स्टेट यूनिवर्सिटीज शामिल हैं। परीक्षा का आयोजन 21 से 31 मई तक किया जाएगा।
20 लाख से अधिक स्टूडेंट्स लेंगे भाग
सीयूईटी में देशभर के करीब 20 लाख से अधिक स्टूडेंट्स के भाग लेने की संभावना है। 30 मार्च के बाद ही स्टूडेंट्स की आधिकारिक संख्या का पता चल पाएगा। परीक्षा में भाग लेने के लिए भारत के किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 12वीं क्लास को पास करना जरूरी है। सामान्य वर्ग के विद्यार्थी को 12वीं क्लास में 50 परसेंट अंक और एससी-एसटी वर्ग के लिए 45% अंक अनिवार्य किए गए हैं। सीयूईटी में एक स्टूडेंट 10 विषय में परीक्षा दे सकते हैं। वहीं 13 भाषाएं तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, मराठी, गुजराती, उड़िया, बांग्ला, आसामी, पंजाबी, अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू माध्यम में परीक्षा दे सकते हैं। 12वीं के बाद सीयूईटी में भाग लेकर स्टूडेंट्स अच्छे यूनिवर्सिटी में प्रवेश ले सकते हैं। सीयूईटी में यूजी के विद्यार्थियों को विषय की सुलभता भी अधिक मिलेगी, जिससे स्टूडेंट्स को अधिक अवसर मिलेंगे।
ग्रामीण परिवेश के बच्चों को मिलेगा फायदा
12वीं की परीक्षा के बाद स्टूडेंस्ट को सही मार्ग दर्शन नहीं मिलने से प्रदेश सहित देश की यूनिवर्सिटी का ज्ञान नहीं होता है। कॉमन परीक्षा के कारण अब ग्रामीण परिवेश के बच्चों को विशेष फायदा मिलेगा और अलग अलग यूनिवर्सिटीज में प्रवेश के लिए घूमना नहीं पड़ेगा। एक परीक्षा से ही अब नामी यूनिवर्सिटी में प्रवेश का सपना पूरा होगा। देश के सभी स्टूडेंट्स पर एक जैसा संविधान लगेगा और समान आरक्षण से किसी यूनिवर्सिटी की मनमानी नहीं चलेगी।
ये यूनिवर्सिटीज करवाती हैं अलग परीक्षा
राजस्थान की एक दर्जन से अधिक सरकारी यूनिवर्सिटीज में इस परीक्षा के जरिए प्रवेश नहीं मिलेगा। प्रदेश की ये यूनिवर्सिटीज प्रवेश के लिए अलग से परीक्षा का आयोजन करवाती रही हैं। गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय, बांसवाड़ा, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर, महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर, महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर, कोटा विश्वविद्यालय, कोटा, राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर सहित प्रमुख यूनिवर्सिटी ने कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट के जरिए प्रवेश की सहमति नहीं दी है।
कॉमन एंट्रेंस टेस्ट एक अच्छी पहल
राजस्थान यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर डेजी शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालयों के स्तर पर कॉमन एंट्रेंस टेस्ट एक बहुत ही स्वागत योग पहल है। इससे पहले आईआईटी और मेडिकल कॉलेज में भी एक कॉमन एंट्रेंस टेस्ट होता रहा है। पहले विद्यार्थियों को अलग-अलग विश्वविद्यालयों की फीस भरनी होती थी। अलग-अलग जगह जाकर परीक्षा देनी होती थी तो इस प्रयास में उसका बहुत सारा समय और धन तो नष्ट होना ही था। साथ ही उसे मानसिक कष्ट भी होता था, क्योंकि उसे अपनी परीक्षा के साथ साथ बाकी सभी परीक्षाओं का ध्यान रखना पड़ता था।
विभिन्न परीक्षा केंद्रों पर जाकर वहां होने वाली परेशानियों से जूझना पड़ता था। कॉमन एंट्रेंस टेस्ट ने इसे बहुत सरल कर दिया है। कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के माध्यम से एक बार परीक्षा शुल्क के साथ फॉर्म भरकर एक ही सेंटर पर एग्जाम देकर वो अपना समय और धन बचाएंगे। वहीं अलग-अलग विश्वविद्यालय के स्तर पर जो एंट्रेंस परीक्षाएं होती हैं, उनमें पेपर लीक होने की संभावनाएं भी रहती हैं। इस प्रयोग से उन पर भी अंकुश लगने की उम्मीद है।कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के माध्यम से विश्वविद्यालयों में विद्यार्थी विविधता बढ़ेगी और सही मायने में विश्वविद्यालय अपने नाम को चरितार्थ करेंगे।