श्रवण भाटी, जयपुर। प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में आचार संहिता लगने के साथ ही प्रदेश के लाखों युवाओं के सपनों पर पानी फिर जाएगा। आचार संहिता लगने से राजस्थान लोक सेवा आयोग और कर्मचारी चयन बोर्ड की करीब 50 हजार पदों की भर्तियां अटक जाएंगी। इसके साथ ही जिन भर्ती परीक्षाओं का परिणाम जारी हो चुका है, उनमें भी नियुक्तियां नहीं हो पाएंगी।
वे भी संभवत: नई सरकार बनने के बाद ही मिल पाएंगी। ऐसे में पिछले कई सालों से प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं का चुनाव से पहले सरकारी नौकरी का सपना आरपीएससी और एसएसबी के ढीले रवैये के कारण सपना ही रह जाएगा। आरपीएससी और एसएसबी ने कई भर्तियों के परिणाम तो जारी कर दिए हैं, लेकिन डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लम्बेप्रोसेस के चलते समय पर पूरी नियुक्ति नहीं मिल पाएंगी।
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इन भर्तियों में अटक सकती है नियुक्तियां
राजस्थान लोक सेवा आयोग की माध्यमिक शिक्षा विभाग में स्कूल व्याख्याता के 6 हजार पदों पर हुई भर्ती में कई विषयों के परिणाम आना बाकी है। वहीं, वरिष्ठ अध्यापक के 9760 पदों पर हुई भर्ती में ग्रुप सी और डी का परिणाम बाकी है। ईओ-आरओ भर्ती भी प्रक्रियाधीन है। ऐसे में इन भर्तियों के पदों पर नियुक्तियां नहीं हो पाएगी। वहीं, चयन बोर्ड की जूनियर अकाउंटेंट, वनरक्षक भर्ती, कम्प्यूटर अनुदेशक, लाइब्रेरियन, पीटीआई सहित कई भर्तियों में नियुक्तियां अटकेंगी।
लोक सेवा आयोग की भर्ती
स्कूल व्याख्याता,
वरिष्ठ अध्यापक भर्ती,
ईओ\आरओ भर्ती ,
पीटीआई भर्ती ,
वरिष्ठ अध्यापक (सं.शि.विभाग)
चयन बोर्ड की भर्तियां
वनरक्षक भर्ती,
सीएचओ भर्ती,
कम्प्यूटर अनुदेशक,
तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती
चिकित्सा विभाग की भर्तियां
एएनएम,
जीएनएम,
फार्मासिस्ट,
रेडियोग्राफर,
लैब टेक्नीशियन, ईसीजी
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सरकार जल्द से जल्द लंबित भर्तियों को पूरा कर चयनित बेरोजगारों को नियुक्ति प्रदान करे। और प्रस्तावित 1 लाख पदों की भर्तियों पर विज्ञापति जारी करे। यदि भर्तियां प्रभावित होती है तो कांग्रेस
सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उपेन यादव, प्रदेशाध्यक्ष बेरोजगार एकीकृत महासंघ
जल्द से जल्द भर्तियों के परिणाम जारी कर नियुक्तियां देनी चाहिए। कई सालों से युवा सरकारी नौकरी को आस लगाए बैठे हैं, लेकिन आयोग की लेटलतीफी के कारण अभ्यर्थियों को नुकसान झेलना पड़ रहा हैं। नियुक्ति नहीं हुई तो सरकार को युवाओ का आगामी चुनावों में विरोध झेलना पड़ेगा। मनोज मीणा, युवा शक्ति महासंघ