NEET PG 2023: NBE ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, परीक्षा टली तो वैकल्पिक तिथि उपलब्ध नही

नई दिल्ली। राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (NBE) ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया कि 5 मार्च को होने वाली राष्ट्रीय पात्रता- सह-प्रवेश परीक्षा (NEET…

Supreme Court | Sach Bedhadak

नई दिल्ली। राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (NBE) ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया कि 5 मार्च को होने वाली राष्ट्रीय पात्रता- सह-प्रवेश परीक्षा (NEET PG) 2023 के लिए करीब 2.09 लाख उम्मीदवारों ने पंजीकरण कराया है और यदि इसे स्थगित किया जाता है तो परीक्षा के लिए निकट भविष्य में कोई वैकल्पिक तारीख उपलब्ध नहीं हो सकती है। नीट-पीजी परीक्षा को स्थगित करने संबंधी दो याचिकाओं की सुनवाई कर रही न्यायाधीश एस आर भट और न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की पीठ के समक्ष ये दलीलें दी गई हैं। 

शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि वह किसी भी प्रकार से कोई आदेश पारित नहीं कर रही है। पीठ ने एनबीई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि वह याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दे का समाधान खोजें। हम इसे खुला रख रहे हैं। आप आंकड़ों के साथ आएं। खंडपीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 27 फरवरी की तारीख तय की है।

याचिकाकर्ता कर रहे हैं परीक्षा के स्थगन की मांग 

याचिकाकर्ताओं ने यह कहते हुए परीक्षा स्थगित करने की मांग की है कि काउंसलिंग 11 अगस्त के बाद आयोजित की जानी है, क्योंकि इंटर्नशिप की कट-ऑफ तारीख तब तक बढ़ा दी गई है। पीठ ने कहा, जो लोग इसका इंतजार कर रहे हैं, उनके लिए यह वास्तव में मानसिक प्रताड़ना है। 

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जब हम एक न्यायिक परीक्षा स्थगित करते हैं तो इसकी तैयारी कर रहे लोगों के लिए यह मानसिक त्रासदी हो सकती है। जब पीठ ने कहा कि वह जानना चाहती है कि इससे कितने उम्मीदवार प्रभावित होंगे, तो याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि शीर्ष अदालत इस पर स्पष्टीकरण के लिए एनबीई को बुला सकती है।

सभी तैयारियां पूरी 

एएसजी भाटी ने पीठ से कहा कि लगभग 2.09 लाख उम्मीदवारों ने परीक्षा के लिए पंजीकरण कराया है, परीक्षा आयोजित करने के लिए एक प्रौद्योगिकी भागीदार संस्था को शामिल किया गया है और सभी तैयारियां कर ली गई हैं। अधिकारी शीर्ष अदालत द्वारा पूर्व में घोषित कार्यक्रम का पालन करने की कोशिश कर रहे हैं। 

अलग-अलग राज्यों में इंटर्नशिप के अलग कार्यक्रम याचिकाकर्ताओं की ही ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह मुद्दा इसलिए उठा है क्योंकि अलग-अलग राज्यों में इंटर्नशिप के लिए अलग-अलग कार्यक्रम हैं।

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