इस संसार में कई तरह के फूल पाए जाते हैं। जैसे- गुलाब, गंदा, मौगरा तथा चंपा। इन्हीं में चमेली भी भारत में प्रमुख रूप से उगाया जाने वाला फूल है। यह फूल पेड़ या पौधे पर ना लगकर बेल पर लगता है। इसके गोबर की कंपोस्ट खाद सबसे अधिक उपजाऊ मानी जाती है। चमेली का पौधा दिखने में जितना आकर्षक लगता है, उतना ही सुंगंधित भी होता है। यह सभी फूलों से दिखने में अलग लगता है। माना जाता है कि चमेली की उत्पत्ति हिमालय पर्वत पर हुई थी।
कई लोग इससे बनी इत्र का प्रयोग भी करते हैं। यूं तो यह मुल रूप से भारत का फूल है, लेकिन विदेशों में भी इसे उगाया जाता है। अन्य देशों के लोग भी इसकी खेती करते हैं। व्यापारिक दृष्टि से भी यह पौधा महत्वपूर्ण है। यह एक सुगंधित फूल है, जिसकी महक से लोग मोहित हो जाते हैं। इसका उपयोग दवाइयां तथा इत्र बनाने के लिए किया जाता है। जिससे सिर दर्द, चक्कर आना, जुकाम जैसी बीमारियां दूर होती है।
चमेली के बारे में
अन्य फूलों की तरह यह भी सुगंधित होता है। इसकी खास बात यह है कि रात के समय यह अधिक खूशबू देता है। यह इंडोनेशिया देश का राष्ट्रीय पुष्प है, इसका वैज्ञानिक नाम जास्मिन ऑफिसिनले है। सुंदर और खुशबूदार फूलों में इसका नाम आता है। सभी फूल अलग-अलग प्रकार के होते हैं, उसी तरह चमेली के फूल की विशेषता है कि इसमें पांच पंखुड़ियां होती है। इसलिए यह काफी आकर्षक लगता है। घर व दफ्तर की सजावट करने के लिए इसके फूल काम में आते है।
इसका रस इत्र, तेल तथा साबुन बनाने के काम आता है। यह कई रंगो का होता है, लेकिन भारत में सफेद और गुलाबी रंग के चमेली के फूल अधिक पाए जाते है। इसकी खेती अलग प्रकार से की जाती है। इसे क्यारियों में 1.25 मीटर से 2.5 मीटर के अंतराल पर लगाया जाता है। इसके लिए पुरानी जड़ों की रोपकर एक महीने तक इसकी देखभाल की जाती है। इसमें फूल लगने में काफी समय लगता है।
200 से अधिक प्रजातियां
चमेली की बैल में फरवरी से अक्टूबर माह के बीच फूल खिलते हैं। शेष महीनों में बेल में केवल पत्ते आते हैं। इसकी 200 से भी अधिक प्रजातिया पाई जाती है। इसमें कई प्रकार के औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। इस फूल का नाम पारसी शब्द यासमीन से बना है, जिसका अर्थ होता है प्रभु की देन। यह जैस्मिनम प्रजाति के ओलिएसिई कुल का फूल है। भारत में इस प्रजाति की लगभग 40 जातियों और 100 किस्मों के फूल उगाए जाते हैं। शुरूआत में इसे केवल भारत में उगाया गया था। धीरे-धीरे अरब के मूर लोगों ने इसे विदेशों तक पहुंचा दिया। इसके बाद उत्तर अफ्रीका, स्पेन और फ्रांस जैसे बड़े देशों में चमेली का फूल पहुंच गया।
भारत में चमेली की खेती
चमेली की खेती भारत में तीन हजार मीटर की ऊंचाई तक की जाती है। हिमालय का दक्षिणी भाग चमेली का मूल स्थान है। इसके लिए गरम तथा समशीतोष्ण जलवायु उपयुक्त मानी जाती है। सूखे स्थानों पर भी इसे उगाया जा सकता है। यूरोप में इसे ठंडे स्थानों पर भी उगाया जाता है। अगर मिट्टी की बात करें तो भुरभुरी दोमट मिट्टी तथा काली चिकनी मिटृटी इसके लिए उपजाऊ होती है।
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