व्यक्ति के कपड़े पहनने के तरीके से हम उसके व्यक्तित्व का अंदाजा लगा लेते हैं। किसी ने सलवार सुट या साड़ी पहना है तो हम उसे भारतीय नारी मान लेते हैं, घागरा लुगड़ी पहना है तो ग्रामीण महिला मान लेते हैं। किसी पुरूष ने पेंट-शर्ट पहना है तो सभ्य व्यक्ति मान लेते हैं, वहीं जींस-टी शर्ट वाले व्यक्ति को हम कुल पर्सनेलिटी का मान लेते हैं। ठीक ऐसे ही टाई पहने हुए व्यक्ति को देखकर हम समझ जाते हैं कि यह कोई अफसर है, या बड़े दफ्तर में कार्य करता है।
दरअसल टाई ऐसा परिधान है जो व्यक्तित्व में तुरंत बदलाव ले आती है। टाई का हिंदी अर्थ होता है बांधना। इसे शर्ट और कोट पेंट के साथ पहना जाता है। हालांकि बचपन में हम हर दिन टाई बांधकर ही स्कूल गए हैं। वर्तमान में कुछ ही विद्यालयों में टाई बांधने का चलन है। कई लोग ऑफिशियल पार्टियों में टाई बांधकर जाते हैं। इससे व्यक्ति का आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
टाई का चलन
टाई बांधने का चलन 16वीं और 17वीं शताब्दी के बीच शुरू हुआ। इस दौरान यूरोप में कैथोलिक धर्म और प्रगतिशील प्रोटेस्टेंट के मध्य युद्ध चल रहा था। यह युद्ध 1620 से 1650 के बीच लड़ा गया था। इस युद्ध में दोनों पक्षों को पहचान के लिए अलग-अलग वेशभूषा पहननी थी, तब यूरोपीय देश क्रोएशिया के सैनिकों ने अपने खास ड्रेस कोड में टाई को शामिल किया। क्रोएशिया के सभी सैनिकों ने इस युद्ध में टाई बांधी, जिससे उनकी अलग पहचान बनी। इसके बाद फ्रांस का शासक लुई चौदहवां ने भी इसे अपनाया। लुई इसे चलन में लेकर आया। धीरे-धीरे टाई सभी देशों में पहुंच गई। वर्तमान में सभी वर्ग के लोग इसे बांधते हैं।
टाई में बदलाव
शुरूआत में गले में कपड़े को बांध लेना ही टाई कहलाया, लेकिन समय के साथ इसमें बदलाव होते चले गए। 19वीं और 20वीं शताब्दी में इसके डिजाइन में कई बदलाव देखे गए। वर्ष 1900 से 1909 तक यह पुरुषों के लिए कपड़ों के सामान थी। 1919 तक पुरुषों ने इसका इस्तेमाल कम कर दिया। वर्ष 1920 में न्यूयॉर्क के टाई निर्माता जेस्से लैंग्सडोर्फ़ ने अलग तरीके से टाई बनाने का पेटेंट करवाया। इसका नाम लैंग्सडोर्फ़ नैक टाई था। वर्ष 1936 में ड्यूक ऑफ विंडसर ने सबसे पहले चोड़ी टाई बनाई। वर्ष 1950 तक आते-आते टाई बहुत पतली हो गई। इसके बाद 1999 तक टाई की सामान्य चोड़ाई 4 इंच हो गई।
टाई का प्राचीन नाम
शुरूआत में टाई को अन्य नाम से जाना जाता था। क्रोएशिया के सैनिकों के सम्मान में इसका नाम ला क्रावेटे रखा गया। लेकिन कुछ समय बाद इसका नाम टाई हो गया। वर्तमान में फ्रांस में इसे नैक टाई कहा जाता है। हर साल 18 अक्टूबर को पूरे विश्व में टाई-डे भी मनाया जाता है। इसकी शुरुआत यूरोप के देश क्रोएशिया से हुई थी।