गुजरात विधानसभा चुनाव में यूनिफॉर्म सिविल कोड भाजपा को कितना फायदा या नुकसान पहुंचाएगी, यह तो अभी कहा नहीं जा सकता। लेकिन अगर राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो यह मुद्दा चुनाव में जमकर उछाले जाने की संभावना जरूर है। कुछ विश्लेषणों में इसे भाजपा को अपने पांव में कुल्हाड़ी मारने जैसा बता रहे हैं। तो वहीं कुछ इससे भाजपा को फायदा पहुंचने की बात कह रहे हैं। देश में काफी सालों से यूनिफॉर्म सिविल कोड पर सालों से चर्चा चल रही है और इसे देश में लागू करने की मांग की जा रही है। लेकिन एक धर्म विशेष इस कोड के हमेशा से खिलाफ रहा है। उनका कहना है कि इससे उनके पर्सनल लॉ में दखलअंदाजी होगी।
यूसीसी के समर्थन में आया मुस्लिम संगठन
लेकिन इसे लेकर एक इस वर्ग की ओर से एक सकारात्मक पहल देखने को मिल रही है। दरअसल बीते रविवार को मुस्लिम संगठनों की एक मीटिंग यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर गई थी। जिसमें मुस्लिम धार्मिक व सामाजिक संगठन खुलकर यूनिफॉर्म सिविल कोड के समर्थन में खड़े हुए। उनके मुताबिक इस समय देश को उसके विकास के लिए एक समान कानून की जरूरत है। उन्होंने इस मुद्दे पर राजनीति करने वाले कुछ मुस्लिम संगठनों से भी झूठे आडंबर से बचने की सलाह दी है और उन पर नकेल कसने की बात कही है। दूसरी तरफ विश्व हिंदू परिषद भी यूनिफॉर्म सिविल कोड के पक्ष में है।
भाजपा के घोषणापत्र में शामिल है यूसीसी
बता दें कि भाजपा के हर चुनाव में यूनिफॉर्म सिविल कोड एक मुद्दा रहा है। उसके एजेंडे में भी यूनिफॉर्म सिविल कोड प्राथमिकता के तौर पर शामिल है। जब-जब भाजपा चुनावी मैदान में उतरी है, उसमें यूनिफॉर्म सिविल कोड की पैरोकारी कर देश में लागू करने की बात कही है। अब गुजरात में कभी भी चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है। इसी वक्त मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के लिए समिति के गठन करने की घोषणा कर दी है। बता दें कि यूनिफॉर्म सिविल कोड भाजपा के घोषणा पत्र में भी शामिल है। इस घोषणापत्र में अयोध्या का राम मंदिर, जम्मू कश्मीर से 370 को हटाना व यूनिफॉर्म सिविल कोड के बड़े वादे शामिल हैं। इसमें राम मंदिर और जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने का वादा तो पूरा हो गया है। अब सिर्फ यूनिफॉर्म सिविल कोड ही ऐसा रहेगा जो अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। लेकिन भाजपा ने इसके लिए कदम जरूर बढ़ा दिए हैं।
मुस्लिम भी मांगे समान अधिकार
जमात उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना कासमी ने कहा है कि दुनिया के कई देशों में एक देश एक कानून है। वहां का मुस्लिम समाज भी उसी कानून से बना है। यहां का मुस्लिम समाज भी समान अधिकार चाहता है। उसे पता है कि जो भी कानून आएगा उसकी भलाई के लिए ही आएगा। दूसरी तरफ ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के चीफ इमाम डॉक्टर उमैर अहमद इलियासी ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को सभी को गंभीरता से लेना चाहिए। यह बेहद सोच समझ कर किया जाने वाला फैसला है। यूनिफॉर्म सिविल कोड पर अपना पक्ष रखते हुए अहमद ने कहा कि मुस्लिम, इसाई और बौद्ध के लिए एक समान कानून होना चाहिए। तो दूसरी तरफ इंडियन मुस्लिम्स के अध्यक्ष डॉक्टर ने कहा कि अपना देश सांस्कृतिक विविधता वाला देश है किसानों से देश का विकास बाधित होता है उसमें बदलाव लाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है मामला
बता दें कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय के साथ ही मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना आजाद के पौत्र फिरोज बख्त अहमद की जनहित याचिका में सबके लिए समान कानून यानी की यूनिफॉर्म सिविल कोड की मांग की गई है। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया है। जिसमें यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन किया गया है।
आप ने किया समर्थन
दूसरी तरफ भाजपा की विरोधी टीम आम आदमी पार्टी ने भी यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए समिति बनाने का समर्थन किया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे देश में लागू करने की बात में हामी भरी है। गुजरात दौरे के तीसरे दिन बीते रविवार को अरविंद केजरीवाल भावनगर में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। जिसमें उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए समिति बनाने के फैसले का स्वागत करता हूं। यह समय की मांग है कि इसे पूरे देश में लागू किया जाए।
इसलिए है आपत्ति
यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आपत्ति जताई है कि यह सभी धर्मों पर हिंदू कानून को अपने जैसा है। बोर्ड का कहना है कि अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया गया तो इससे उनके मानवाधिकारों का हनन होगा। इस कानून के मुताबिक मुसलमानों को तीन शादियां करने का अधिकार है, लेकिन इस कानून के आने के बाद से एकल विवाह में बनने को प्रतिबद्ध होंगे, जो कि पर्सनल लॉ के खिलाफ है। वह शरीयत के हिसाब से अपनी संपत्ति का बंटवारा भी नहीं कर सकेंगे। क्योंकि उन्हें यूनिफॉर्म सिविल कोड का पालन करना होगा। इसलिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शुरुआत से ही इस कानून का विरोध किया है।
ये होंगे बदलाव
यूनिफॉर्म सिविल कोड के आने के बाद से अब गुजरात के रहने वाले सभी लोगों पर समान नागरिक अधिकार लागू होंगे। चाहे वह किसी भी धर्म या जाति के हो इस कानून से शादी- विवाह से लेकर संपत्ति बंटवारे, तलाक तक के सभी नियम-कानून एक समान होंगे। बता दें कि भारत में लंबे समय से यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर चर्चा हो रही है। लेकिन एक बड़ा वर्ग इस कोड के विरोध में है। इसलिए इसे पूरे देश में लागू नहीं किया जा सका है। लेकिन गुजरात सरकार के इस फैसले को लेने के बाद यह संभावना जताई गई है कि जल्द ही इसे पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा।