West Bengal: कोलकता। पश्चिम बंगाल में एक तरफ पंचायत चुनाव के लिए वोटिंग हो रही थी तो दूसरी ओर हिंसा का दौर जारी था। मतदान वाले दिन अलग-अलग जगह हुई हिंसा में 16 लोगों की मौत हुई है। वहीं, चुनावों की घोषणा के बाद से अब तक राज्य में 34 लोग मारे गए हैं। चुनाव के दिन पश्चिम बंगाल में हुई हिंसक झड़प पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ममता बनर्जी सरकार से रिपोर्ट मांगी है।
पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव के दौरान हुई हिंसा में सात जिलों में कम से कम 16 लोगों की जान चली गई। मुर्शिदाबाद जिले में सबसे ज्यादा 5 मौतें हुईं। इसके बाद उत्तरी दिनाजपुर में चार और कूचबिहार में तीन मौतें हुईं। इसके अलावा, मालदा, दक्षिण 24 परगना, नादिया और पूर्वी बर्दवान में भी मौतें हुईं। जान गंवाने वालों में नौ लोग तृणमूल कांग्रेस पार्टी से जुड़े थे। कई गांवों में विरोधी गुटों ने एक दूसरे पर बम फेंके। बता दें कि पश्चिम बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए शनिवार को कई जगह हिंसा की घटनाओं के बीच शाम पांच बजे तक 66.28 प्रतिशत मतदान हुआ।
मतपेटियों को तोड़ा आग लगाई
अधिकारियों के अनुसार, कूच बिहार जिले के दिनहाटा में बारविटा सरकारी प्राथमिक विद्यालय के एक मतदान केंद्र पर मतपेटियों को तोड़ा गया और मतपत्रों में आग लगा दी गई। बरनाचिना क्षेत्र के एक अन्य मतदान केंद्र पर भी एक मतपेटी को भी आग के हवाले कर दिया गया।
जहर की बोतलें लेकर प्रदर्शन
नंदीग्राम में महिला मतदाताओं ने हाथों में जहर की बोतलें लेकर एक पुलिस अधिकारी का घेराव किया और मांग की कि इलाके में केंद्रीय बल तैनात किए जाएं।
मृतकों में कई दलों के कार्यकर्ता
राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने उत्तर 24 परगना के विभिन्न इचुनावी हिंसा में मारे गए हिंसा में मारे गए लोगों में तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्य, भाजपा, माकपा, कांग्रेस और इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के एक-एक कार्यकर्ता और एक अन्य व्यक्ति शामिल है, जिसकी पहचान उजागर नहीं हो सकी है। झड़पों में सुरक्षा कर्मियों समेत लोग घायल भी हुए हैं।
गृह मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट
भाजपा ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग की है। वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चुनाव के दौरान भड़की हिंसा पर राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगे है। राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने विपक्षी दलों पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया और मतदाताओं की सुरक्षा करने में विफलता के लिए केंद्रीय बलों की आलोचना की। चुनावों के लिए राज्य पुलिस के करीब 70,000 कर्मियों के अलावा केंद्रीय बलों की 600 कंपनियां तैनात की गई थीं।
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