यूपी नगर निकाय चुनाव को लेकर आज इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आज बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने चुनाव में ओबीसी आरक्षण को रद्द कर दिया है। अब नगर निकाय चुनाव अपने तय समय पर बिना ओबीसी आरक्षण के होंगे। यह फैसला लखनऊ बेंच के जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस सौरभ लवानिया की पीठ ने दिया है।
ट्रिपल टेस्ट को लेकर मामला कोर्ट में था
बता दें कि कोर्ट ने चुनावों को लेकर अधिसूचना जारी करने पर रोक लगाई थी। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा था कि राज्य सरकार ने ओबीसी आरक्षण तय करने में सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले का अनुपालन नहीं किया गया है। इस पर दलील दी गई थी कि सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल सुरेश महाजन मामले में कहा था कि ओबीसी आरक्षण जारी करने से पहले ट्रिपल टेस्ट किया जाएगा। इसी मुद्दे पर राज्य सरकार ने ओबीसी आरक्षण को लेकर याचिका कोर्ट में दायर की थी।
सरकार की दलील से असंतुष्ट कोर्ट
साथ में यह दलील भी दी गई थी कि अगर ट्रिपल टेस्ट की औपचारिकता पूरी नहीं की जा सकती। तो एससी और एसटी सीटों के अलावा बाकी सभी सीटों को सामान्य सीट घोषित करते हुए चुनाव कराए जाएंगे। सरकार का यह भी कहना था कि इससे चुनाव कराने में भी काफी समय लगेगा। लेकिन सरकार की इस दलील से कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ। जिसके बाद कोर्ट ने चुनाव की अधिसूचना के साथ ही 5 दिसंबर के ड्रॉफ्ट नोटिफिकेशन पर अंतरिम रोक लगा दी थी। कोर्ट का कहना था कि ओबीसी सीटों को सिर्फ तब अधिसूचित किया जाता है जब ट्रिपल टेस्ट की औपचारिकता को पूरी नहीं किया हो।
क्या है ट्रिपल टेस्ट
नगर निकाय चुनाव के मुद्दे के बीच एक शब्द काफी प्रचलित हुआ जिस पर यह पूरा मुद्दा आधारित था और वो है ट्रिपल टेस्ट। कई लोग इस ट्रिपल टेस्ट का मतलब नहीं समझ पा रहे हैं। बता दें कि इस ट्रिपल टेस्ट में तीन प्रावधान होते हैं-
1- किसी राज्य में आरक्षण के लिए स्थानीय निकाय के पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की जांच के लिए आयोग की स्थापना की जाए।
2- आयोग की सिफारिशों के मुताबिक आरक्षण का अनुपात तय करना जरूरी है।
3- इसके अलावा किसी मामले में एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग के पक्ष में कुल आरक्षित सीटों का प्रतिशत 50 से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
बता दें कि पूरे यूपी के 760 निकायों में चुनाव होने के हैं। इसमें से 17 नगर निगम हैं और 200 नगर पालिकाएं हैं। बाकी नगर पंचायत हैं। लेकिन अभी चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है। लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि ये चुनाव 14 जनवरी से पहले हो सकते हैं इसके अलावा इस वक्त अगर चुनाव नहीं हुए तो यह तारीख आगदे बढ़ कर मई महीने में भी जा सकती है क्योंकि फरवरी से मार्च मे यूपी बोर्ड की परीक्षा भी आयोजित होगी।