जयपुर। यदि मन में कुछ करने का जुनून हो तो कोई भी काम कठिन नहीं है। बचपन में डाक टिकट रखने के जुनून ने अब बड़ी पहचान दे दी है। सीकर निवासी डॉ. अजय गुप्ता ने लगभग 30 साल पहले डाक टिकट रखने की पहल शुरू की, अब वह 30 सालों में लगभग 15 हजार डाक टिकट संग्रहित कर चुके है।
खास बात यह है कि वह युवाओं को डाक टिकटों से रूबरू करने के लिए विभिन्न स्थानों पर जाकर प्रदर्शनी भी लगाते हैं। गुप्ता के पास भारत के अलावा थाईलैंड, मलेशिया, दुबई सहित अन्य देशों की डाक टिकट भी हैं।
देश की ऐतिहासिक 1947 तिरंगे की डाक टिकट भी इनके पास है। वहीं सबसे महंगी डाक टिकट थाईलैंड की महारानी के ऊपर बनी हुई है। इसके अलावा गुप्ता के पास महापुरुष देवता, खिलाड़ी, कार्टून, जानवर, हवाई जहाज, पक्षी के अलावा अनेक डाक टिकटों का संग्रह है। इन्होंने डाक टिकटों की प्रदर्शनी दिल्ली, जयपुर, जोधपुर, झुंझुनूं सहित अनेक शहरों में लगाई है।
समय के साथ बदला क्रेज
मोबाइल और सोशल मीडिया ने डाक टिकटों के क्रेज को कम कर दिया है। पहले सूचना देने के लिए पत्रों का ही सहारा लिया जाता था।इस दौर में डाक टिकटों का काफी महत्व है। डाकसेवा से जुड़े एक्सपर्ट ने बताया कि पहले डाक टिकटों की पहले बुकिंग भी होती थी।