आपने अभी तक गणेश जी की जितनी प्रतिमाएं घरों या मंदिरों में देखी हैं, वहां की प्रतिमा गजानन यानी गज के सिर वाली होती है। लेकिन इस गणेशोत्सव पर हम आपको एक ऐशे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां गणेश की बिना सूड़ के प्रतिमा स्थापित है। और यह पूरी दुनिया में इस तरह का एक ही मंदिर है। इस मंदिर का नाम गढ़ गणेश जो राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित है। यह मंदिर अरावली की पहाड़ियों की चोटी पर स्थित है, जो एक मुकुट का रूप लेते हुए प्रतीत होता है।
दरअसल इस मंदिर में गणेश जी की प्रतिमा उनके बाल रूप की है। यानी शिव जी के हाथों गणेश जी का सिर कटने से पहले जो रूप था इस मंदिर में उसी रूप में उनकी प्रतिमा स्थापित है, और उसकी पूजा होती है। यह मंदिर जयपुर की अरावली श्रृंखला की पहाड़ियों की चोटी पर ऐसी जगह स्थित है जहां से इस गुलाबी नगरी के सभी ऐतिहासिक विरासतों को देखा जा सकता है। यानी अगर आप इस मंदिर में आते हैं तो आपको पहाड़ की चोटी पर आना होगा, और यहां से देखने पर राजस्थान और देश-दुनिया में प्रसिद्ध किले औऱ महल साफ-साफ दिखाई देंगे। यहां से आप झील के बीचों बीच स्थित जल-महल, पहाड़ों पर बसा आमेर का किला, जयगढ़ दुर्ग और नाहरगढ़ के किले को देखने का आनंद उठा सकते हैं। औऱ तो और पहाड़ों की चोटी पर से इन विरासतों को निहराने का भव्य नजारा बेहद खूबसूरत होता है।
जयपुर के संस्थापक सवाई जयसिंह ने कराया था निर्माण
इस प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर का निर्माण जयपुर नगरी के संस्थापक सवाई जयसिंह ने कराया था। इस दौरान सवाई जयसिंह ने अश्वमेघ यज्ञ आयोजित कराया था। कई मंत्रों-तंत्रों से इस मंदिर का निर्माण किया गया था। यह मंदिर अरावली श्रृंखला की पहाड़ की चोटी पर इस तरह से बना है कि उस वक्त राजघराने के सदस्य इसके दर्शन अपने महल से ही कर सकते थे।
बता दें कि उस वक्त जयपुर का राजघराना आज के सिटी पैलेस के नाम से मशहूर महल के एक हिस्से में रहता था। उसे चंद्र महल के नाम से जाना जाता था। सबसे दिलचस्प बात यह है कि जयपुर के आराध्य देव कहे जाने वाले गोविंद देव जी का मंदिर भी सिटी पैलेस के सीध में पीछे की तरफ बना हुआ है। ऐसा माना जाता है कि तब के राजघराने के सदस्य दोनों देवताओं गढ़ गणेश औऱ गोविंद देव जी के दर्शन अपने चंद्र महल से सुबह-सुबह करते थे, जिसके बाद वे अपनी दिनचर्या शुरु करते थे।
गढ़ गणेश मंदिर में गणेश जी के सामने दो बड़े-बड़े मूषकों की भी प्रतिमा स्थापित है। ऐसा माना जाता है कि यहां आने वाले भक्त इन मूषकों के कान में अपनी मनोकामना की अर्जी लगाते हैं जो कि गणेश जी की कृपा से पूरी होती है। तो आप भी इस गणेशोत्सव अपने परिवार के साथ देश के इस प्रसिद्ध मंदिर में अपनी मनोकामनाओं की अर्जी लेकर आएं, भगवान की कृपा से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।