राहुल गांधी के मानहानि मामले में आज सूरत के सेशंस कोर्ट में सुनवाई हुई। अब 20 अप्रैल को कोर्ट इस मामले में अपना फैसला सुनाएगी। आज कोर्ट में राहुल गांधी की ओर से पेश वकील ने कहा कि मजिस्ट्रेट ने जो आदेश दिया है वह अजीब है। क्योंकि लोअर कोर्ट के जज के समक्ष जो सबूत पेश किए गए थे उनमें घालमेल कर दिया गया।उनका आरोप है कि इसमें निष्पक्ष तरीके से सुनवाई नहीं हुई।
सूरत कोर्ट राहुल गांधी के मुद्दे पर 20 अप्रैल को मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने के लिए दायर एक अंतरिम आवेदन पर आदेश पारित करेगी।
इस मामले में अधिकतम सजा की क्या जरूरत
राहुल के वकील ने कहा कि पूरा मामला इलेक्ट्रॉनिक सबूतों पर आधारित है। राहुल गांधी ने 2019 में चुनाव के दौरान एक बयान दिया था, जिससे 100 किलोमीटर दूर बैठे व्यक्ति ने इसे खबरों में पढ़ा और मामला दर्ज करा दिया। इस मामले में सजा दी जाने की कौन सी आवश्यकता थी और इतनी लंबी सजा दिए जाने की भी कोई जरूरत नहीं थी।
वहीं कोर्ट में यह मामला दायर करने वाले बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने कहा कि राहुल गांधी बार-बार अपराध करते हैं। इस तरह के बयान देना उनकी आदत है। कोर्ट में एडीशनल सेशन जज आरपी मोगरा के समक्ष दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें पेश कर दी हैं। अब अप्रैल 20 अप्रैल को इस मामले में कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा।
सूरत सेशन कोर्ट ने दी है जमानत
बता दें कि इससे पहले 3 अप्रैल को राहुल गांधी को सूरत के सेशन कोर्ट से मानहानि मामले में जमानत दी थी। यह मामला करीब 4 साल पुराना है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने अपने भाषण में नरेंद्र मोदी को लेकर विवादित दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि सारे चोर मोदी सरनेम वाले ही क्यों हैं? राहुल गांधी का इशारा भगोड़े नीरव मोदी, ललित मोदी की तरफ था, लेकिन इस भाषण पर भाजपा नेताओं ने आपत्ति जताई और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ केस दर्ज करा दिया था, पूर्णेश का कहना था कि राहुल गांधी के इस बयान से पूरे मोदी समुदाय के सम्मान को ठेस पहुंची है़।