Deepfake Video: राजस्थान के बयाना की विधायक डॉ. रितु बनावत के एक डीपफेक वीडियो को लेकर काफी हल्ला मचा है. विधायक का दावा है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा उनका अश्लील वीडियो फेक है जिसमें उनकी फोटो डालकर छवि खराब करने के इरादे से वायरल किया जा रहा है. वहीं विधायक ने वीडियो को लेकर एसपी और विधानसभा अध्यक्ष को लिखित शिकायत दी है जिसके बाद स्पीकर देवनानी ने भरतपुर रेंज आईजी को शिकायत की जांच के आदेश दिए हैं.
रितु बनावत का वीडियो कोई नई बात नहीं है, बीते कुछ महीनों से ऐसे फेक वीडियो की बाढ़ आई हुई है जहां आम से लेकर खास तक हर कोई इसकी चपेट में है. इससे पहले कई फिल्म जगत के लोगों के भी ऐसे वीडियो वायरल हुए हैं.
हालांकि सरकारी स्तर पर केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर का कहना है कि ‘डीपफेक’ से निपटने के लिए अगले 7 दिनों में सख्त आईटी नियम जारी हो सकते हैं लेकिन तमाम तामझाम के बावजूद डीपफेक की समस्या से निजात नहीं मिल रही है, हर दूसरे दिन कोई वीडियो या फोटो वायरल हो रही है. आइए समझते हैं कि क्या है यह तकनीक का नया खेल और इससे आप कैसे बच सकते हैं.
क्या होती है ये डीपफेक टेक्नोलॉजी?
जानकारी के मुताबिक डीपफेक शब्द ‘Deep Learning’ और ‘Fake’ इन दो शब्दों से मिलकर बना है जहां इसकी मदद से किसी दूसरे की फोटो या वीडियो को किसी दूसरे या सेलिब्रिटी के फ़ेस के साथ बदला जा सकता है और ये देखने में बिल्कुल ऑरिजिनल ही लगता है.
बता दें कि ये तकनीक एल्गोरिदम और पैटर्न को पढ़ती है जिसका इस्तेमाल मौजूदा इमेज या वीडियो में किया गया है और फिर उसकी मदद से हेरफेर कर दूसरी इमेज या वीडियो को हुबहू बनाने में मदद करती है. टेक्निकल भाषा में कहें तो ये तकनीक Generative Adversarial Networks (GANs) का इस्तेमाल कर वीडियो और इमेज बनाती है.
इस तकनीक की शुरूआत कैसे हुई?
बता दें कि ‘डीपफेक’ शब्द पहली बार 2017 के आखिर में सामने आया था जहां एक Reddit यूजर ने अश्लील वीडियो पर मशहूर हस्तियों की फोटो लगाने में डीप लर्निंग तकनीक का इस्तेमाल किया था. वहीं 2018 तक आम बोलचाल में यह शब्द आ गया और ऑनलाइन ट्यूटोरियल की मदद से टेक्नोलॉजी सिखाए जाने के बाद इसका इस्तेमाल काफी होने लगा.
कैसे करें डीपफेक वीडियो की पहचान?
डीपफेक वीडियो या इमेज किसी के लिए भी खतरनाक हो सकता है. ऐसे में फेक वीडियो की पहचान करना बहुत जरूरी है जिसके लिए आपको उस फोटो या वीडियो में हुए बदलावों पर ध्यान से नजर डालना होगा. ऐसे वीडियो में ऑबजेक्ट के हाथ-पैर के मूवमेंट पर गौर करें. इसके अलावा एआई जनरेटेड कंटेंट के लिए कोई वॉटरमार्क भी वहां दिखाई दे सकता है.
वहीं डीपफेक वीडियो की पहचान करने के लिए मार्केट में कई तरह के एआई टूल आ गए हैं जिनकी मदद से ऐसे वीडियो को पहचाना जा सकता है जैसे AI or Not और Hive Moderation जैसे कई एआई टूल आप काम में ले सकते हैं जो एआई-जनरेटेड कंटेंट के बारे में तुरंत जानकारी देते हैं. इसके अलावा Deepware Scanner भी एक ऐसा टूल है जिसकी मदद आप ले सकते हैं.
केंद्र सरकार ला रही है नियम
केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने हाल में कहा कि डीपफेक को लेकर जो एडवाइजरी जारी की गई थी उसको लेकर प्लेटफॉर्म्स का अनुपालन मिला-जुला है और इस बारे में सरकार ने पहले ही सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को स्पष्ट कर दिया था कि ‘डीपफेक’ पर सलाह का पूरी तरह पालन नहीं किया तो नए आईटी नियम लाए जाएंगे. चंद्रशेखर ने कहा कि अनुपालन के स्तर पर रुख मिला-जुला रहा है। डीपडेफ को लेकर सरकार गंभीर है.