18 जुलाई से संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है। जो कि 12 अगस्त तक चलेगा। 18 जुलाई को ही राष्ट्रपति के चुनाव प्रक्रिया भी होगी। इससे पहले आज लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इस बैठक में सत्ता पक्ष के अलावा विपक्ष के नाम पर सिर्फ कांग्रेस और DMK के शीर्ष नेता मौजूद रहे। समाजवादी पार्टी, NCP, BSP, और TMC ने इस बैठक में भाग नहीं लिया। इस बैठक में स्पीकर संसद में शांति पूर्ण कार्यवाही में सहयोग करने की अपील की।
बैठक खत्म होने के बाद ओम बिरला ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सत्र को लेकर सभी दलों से बातचीत की है। मैंने सभी नेताओं से आग्रह किया है कि देश के हित में महत्वपूर्ण मुद्दों पर संसद में चर्चा करें, इसके साथ ही बिना हस्तक्षेप के मर्यादा पूर्ण आचरण के साथ कार्य करें। ओम बिरला ने कहा कि सभी नेताओं के दलों ने आश्वस्त किया है कि सदन की कार्यवाही में पूरा सहयोग करेंगे।
गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से केंद्र की कुछ योजनाओं और नीतियों को लेकर विपक्ष लगातार हमला कर रहा है। कई विपक्षी दलों ने तो संसद में अग्निपथ जैसी योजनाओं को पुरजोर तरीके से उठाने का भी ऐलान कर दिया है जिससे यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि संसद का यह सत्र भी हंगामेदार होने वाला है। शायद ही इस सत्र में शांतिपूर्ण ढंग से किसी मुद्दे पर चर्चा हो।
संसद में विपक्ष के हमलावर रहने की संभावना
यहां इस बात की भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि दो दिन पहले ही पूरे देश की राजनीति में चर्चा का विषय बने असंसदीय शब्दों पर भी संसद में बहस छिड़ सकती है। इस पर खुद ओम बिरला ने प्रेस कांफ्रेस कर इस विवाद पर स्पष्टीकरण दिया था। उन्होंने कहा था कि उन्होंने कहा कि इन शब्दों को हटाना संसद की प्रक्रिया है जो काफी सालों से चली आ रही है।
उन्होंने कहा कि पहले इन असंसदीय शब्दों की एक किताब का विमोचन किया जाता था। 1954,1986, 1992,1999,2004,2009 में भी ऐसा संकलन निकाला गया है। जबकि साल 2010 में तो यह वार्षिक रूप से निकाला गया था। लेकिन कागजों की बर्बादी रोकने के लिए हमने उसे इंटरनेट पर डाला है। इसका मतलब यह नहीं कि किसी शब्द पर प्रतिबंध लगाया है, बस उन शब्दों को हटाया है, जिन पर पहले आपत्ति जताई गई थी। और उन्हीं शब्दों की संकलन जारी किया गया है।
केंद्र 24 बिलों को करेगी पेश
संसद के मानसून सत्र में केंद्र की तरफ से 24 बिल पेश किए जाएंगे। संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के रवैए को देखते हुए सत्ता पक्ष की कोशिश रहेगी कि वो किसी तरह इन बिलों को दोनों सदनों से पास कराए। क्योंकि इन बिलों में अधिकतर ऐसे हैं, जिन पर विपक्ष का हमलावर होना तय है।