Congress President : देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के नए अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित मल्लिकार्जुन खड़गे कल यानी 26 अक्टूबर को शपथ ग्रहण करेंगे। जिसके बाद मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक रूप से लगभग 24 साल बाद गैर नेहरू-गांधी परिवार के अध्यक्ष होंगे। मल्लिकार्जुन खड़गे को लेकर लोगों के मन में बहुत से सवाल है कि आखिर कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के बाद खड़गे को ऐसे क्या अधिकार मिलेंगे, जिसके लिए उनकी इतनी चर्चा हो रही है? वैसे तो कहा जाता है कि कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष काफी ताकतवर होता है। तो आज हम आपको बताते हैं कि आखिर अध्यक्ष के तौर पर मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस में किस तरह की मजबूती प्रदान करेंगे और उनके खुद के पास क्या-क्या पॉवर्स होंगे।
अध्यक्ष के रूप में खड़गे इन अधिकारों से होंगे लैस
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पास क्या अधिकार होंगे यह कांग्रेस के संविधान में दर्ज है। कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष पार्टी प्रशासन, सदस्यों के पद को लेकर फेरबदल और पार्टी के अहम निर्णय को लेकर जिम्मेदार होता है। इन सभी पर निर्णय करने का अधिकार पार्टी अध्यक्ष का ही होता है। हालांकि इन फैसलों को लेने के लिए पार्टी के सदस्यों या पदाधिकारियों की सम्मति भी आवश्यक होती है।
आपको बता दें कि कई फैसलों के लिए कांग्रेस की कार्यकारी समिति के 25 सदस्य अपनी सहमति प्रदान करें, यह किसी मुद्दे या निर्णय को लेकर एक अनिवार्य प्रक्रिया होती है। तभी अध्यक्ष कोई भी फैसला ले सकता है। कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पास सभी शीर्ष नेताओं को निर्देश देने का अधिकार होता है। साथ ही पार्टी के पदाधिकारी और अन्य नेता भी अध्यक्ष को अपने कार्यों के बारे में अवगत कराते हैं।
कांग्रेस वर्किंग कमेटी के फैसलों के लिए जिम्मेदार
पार्टी का अध्यक्ष सभी समितियों में सदस्यों की नियुक्ति भी करता है। इसमें महासचिव संयुक्त सचिव और उपाध्यक्ष तक के पद भी शामिल होते हैं। कांग्रेस पार्टी के सभी अधिवेशन चाहे वह राष्ट्रीय हो या प्रादेशिक, इन सभी की अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष ही करता है। इसके अलावा वर्किंग कमेटी के सदस्य का चुनाव भी अध्यक्ष ही करता है। बताते चलें कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी जो भी फैसला लेती है, वह अध्यक्ष के सहमति के बाद ही लेती है। लेकिन अगर किसी स्थिति में वर्किंग कमेटी की बैठक नहीं हुई है और किसी निर्णय पर पहुंचना पार्टी की प्राथमिकता है, तो उस स्थिति में अध्यक्ष अपने स्तर पर खुद ही फैसले ले सकता है।
किसी भी कार्यक्रम के लिए अध्यक्ष को अवगत कराना जरूरी
कांग्रेस पार्टी किसी भी प्रदेश या फिर राष्ट्रीय स्तर पर कोई कार्यक्रम आयोजन आंदोलन या यात्रा रैली कर रही है उसके लिए भी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष से सलाह मशविरा और अनुमति लेना अनिवार्य होता है। कांग्रेस के संविधान के मुताबिक पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष ही पार्टी का मुखिया माना जाता है।
ब्रिटिश अधिकारी थे कांग्रेस के पहले अध्यक्ष
कांग्रेस की स्थापना 1885 में 28 दिसंबर को हुई थी, रिटायर्ड ब्रिटिश अधिकारी एओ ह्यूम (A.O. Hume) की कई प्रयासों के बाद कांग्रेस का उदय हुआ। लॉर्ड डफरिन उस वक्त भारत में ब्रिटेन के वायसराय थे। 1885 में कांग्रेस के पहले सेशन में अध्यक्ष वोमेशचंद्र बनर्जी थे। दादा भाई नौरोजी 1886 और 1893 में कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। बदरुद्दीन तैयबजी, जॉर्ज यूल, विलियम वेडरबर्न, सर की उपाधि पाने वाले फिरोज़शाह मेहता, आनंदचार्लू, अल्फ्रेड वेब, राष्ट्रगुरु सुरेंद्रनाथ बनर्जी, आगा खान के अनुयायी रहमतुल्लाह सयानी, सी शंकरन नायर, बैरिस्टर आनंदमोहन बोस, रोमेशचंद्र दत्त कांग्रेस अध्यक्ष रहे।
24 साल बाद गैर गांधी परिवार का अध्यक्ष
एनी बेसेंट पहली महिला कांग्रेस अध्यक्ष बनीं थीं। भारतीय राजनीति में नेहरू परिवार के पूर्वज मोतीलाल नेहरू 1900 से 1919 के बीच कांग्रेस अध्यक्ष रहे। आजादी के बाद के 73 सालों में करीब 38 साल इस पार्टी का अध्यक्ष नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य रहा है। 2017 में राहुल गांधी को पार्टी की कमान सौंपी गई थी तो वे इस परिवार के पांचवें कांग्रेस अध्यक्ष बने। राहुल ने 2019 में ये पद छोड़ा, तो फिर सोनिया गांधी ही कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष बनी थी। अब साल 2022 में मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं। वे कांग्रेस पार्टी के इतिहास में दूसरे दलित अध्यक्ष हैं। इससे पहले जगजीवन राम दलित अध्यक्ष के रूप में पार्टी में अपनी सेवा दे चुके हैं।