Shri Krishna Janmbhoomi : श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद मामले में आज मथुरा की अदालत में सुनवाई है। जिस पर पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं। मथुरा अदालत ने पिछली सुनवाई में फिर से जांच कराने की एक याचिका को खारिज कर दिया था जिसके बाद इस मामले की सुनवाई के लिए 13 सितंबर की तारीख दी गई थी। दरअसल अभी तक जो मामले कोर्ट में लंबित हैं वो जन्मभूमि और शाही मस्जिद के बीच हुए समझौते के खिलाफ हैं। याचिका में इस समझौते पर सवाल उठाए गए हैं। याचिका में जन्मभूमि का पूरा क्षेत्रफल मंदिर ट्रस्ट को मिलना चाहिए।
यह है पुराना विवाद
दरअसल जन्मभूमि (Shri Krishna Janmbhoomi) के पक्षकारों का दावा है कि इस जमीन पर साल 1670 से पहले श्रीकृष्ण का भव्य मंदिर हुआ करता था। लेकिन मुगल शासक औरंगजेब ने इस तुड़वा दिया और साल 1670 में ईदगाह नाम की मस्जिद तान दी। उन्होंने इतिहास में दर्ज कुछ तथ्यों का हवाला देते हुए कहा है कि मुगल शासन काल में इस मंदिर को कई बार तोड़ा गया है और उस जगह मस्जिद बनाई गई है। इसलिए जन्मभूमि के पक्षकार इसकी पूरी 13.37 एकड़ की जमीन पर भगवान श्रीकृष्ण का अधिकार बताते हैं वे इस पूरी जमीन को वापस कराने की मांग कर रहे हैं।
मथुरा की निचली अदालत में इस मामले में याचिका भी दाखिल की गई थी, लेकिन वहां पर इस मामले को लंबित पड़े काफी समय होने के कारण याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जिसके बाद हाईकोर्ट ने मथुरा की निचली अदालत से 4 महीने में इस मामले की सुनवाई करने का आदेश दिया।
कई विवादों के बाद हुआ समझौता
दरअसल जह साल 1670 में मंदिर को तुड़वाकर वहां मस्जिद बनाई गई थी उसके बाद साल 1770 में मुगल सेना और मराठा सेना में गोवर्धन क्षेत्र में भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में मराठाओं की जीत हुई। इस जीत के बाद मराठाओं ने यहां जन्मभूमि (Shri Krishna Janmbhoomi) क्षेत्र में बनी मस्जिद को तोड़कर फिर से श्रीकृष्ण मंदिर का निर्माण कराया। साल 1935 में इलाहाबाद में हाईकोर्ट ने जन्मभूमि की 13.37 एकड़ जमीन बनारस के राजा कृष्ण दास को सौंप दी। देश आजाद होने के बाद साल 1951 में देश के बड़े उद्योगपतियों के संघ ने जन्मभूमि परिसर की जमीन खरीदी औऱ वहां पर जन्मभूमि ट्रस्ट का निर्माण किया। संघ ने यहां पर केशवदेव नाम के मंदिर का भी निर्माण कराया।
बता दें कि संघ में डालमिया, पोद्दार और बिड़ला जैसे लोग शामिल थे। साल 1968, 12 अक्टूबर को श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के बीच भूमि विवाद को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों में एक समझौता हुआ था। उस समय ट्रस्ट ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट को मस्जिद के लिए भी जमीन दे दी। लेकिन अब मस्जिद के लिए दी गई 2.5 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर विवाद छिड़ गया है। जन्मभूमि पक्षकारों का कहना है कि उन्हें पूरी 13.37 एकड़ जमीन वापस चाहिए ये जन्मभूमि का ही हिस्सा है।