कांग्रेस की वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने अपना इस्तीफा सोनिया गांधी को सौंप दिया है। गुलाम नबी ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता समेत पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने 5 पेज की चिट्ठी सोनिया गांधी को सौंप दी है। जिसमें उन्होंने पार्टी में उन्हें अपमानित, नजरअंदाज करने समेत कई बातों का जिक्र करते हुए अपना दर्द बयां किया है।
पांच पेज की इस चिट्ठी में उन्होंने कहा कि बगैर किसी शक के कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में सोनिया गाँधी ने यूपीए -1 और यूपीए -2 दोनों सरकारों के गठन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेकिन इस सफलता का एक प्रमुख कारण यह था कि राष्ट्रपति के रूप में आपने वरिष्ठ नेताओं के विवेकपूर्ण सलाह पर ध्यान देने के अलावा, उनके निर्णय पर भरोसा करने और उन्हें शक्तियाँ सौंपने का काम किया। उन्होंने राहुल गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि दुर्भाग्य से राहुल गांधी के राजनीति में प्रवेश के बाद और खास तौर पर जब से वे उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए। उन्होंने पहले से मौजूद पूरे सलाहकार तंत्र को ध्वस्त कर दिया गया था।
‘राहुल एक अपरिपक्व नेता’
गुलाम नबी आजाद ने अपनी इस चिट्ठी में राहुल गांधी को अपरिपक्व नेता करार दिया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर दिया गया और अनुभवहीन चाटुकारों की नई मंडली पार्टी के मामलों को चलाने लगी। इस अपरिपक्वता का सबसे बड़ा उदाहरण वो था जब राहुल गांधी ने मीडिया के सामने पार्टी के ऑर्डिनेंस को फाड़ देना था। उस अध्यादेश को कांग्रेस कोर ग्रुप में शामिल किया गया था और बाद में भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से सर्वसम्मति से अनुमोदित किया गया था इसके अलावा राष्ट्रपति ने भी इसे अनुमोदित किया था।
‘राहुल की बचकाना हरकतें पार्टी के पतन की जिम्मेदार’
आजाद ने इसे राहुल गांधी की बचकाना हरकत करार दिया। उन्होंने कहा कि राहुल के इस बचकाने कार्य ने प्रधान मंत्री और भारत सरकार के अधिकार को पूरी तरह से उलट दिया। उन्होंने कहा कि 2013 के दौरान उन्होंने संगठनात्मक मामलों पर कार्यदल की अध्यक्षता की थी। लेकिन अफसोस की बात है कि इन रिट्रीट की किसी भी सिफारिश को कभी भी ठीक से लागू नहीं किया गया। जबकि मैंने इन्हें लागू करवाने के लिए आपसे (सोनिया गांधी) और राहुल गांधी दोनों से कई बार बात की थी। लेकिन इस मामले को नजरअंदाज किया गया। उनकी गंभीरता से जांच करने का भी प्रयास नहीं किया गया।
’39 चुनावों में मिली हार का ठीकरा राहुल के सिर’
गुलाम नबी आजाद ने इस चिट्ठी में 2014 के लोकसभा चुनावों का भी जिक्र किया है और हार का ठीकरा राहुल गांधी के सिर फोड़ा। आजाद ने 2014 से लेकर 2022 तक के बीच हुए 49 चुनावों में से 39 में मिली हार का ठीकरा राहुल गांधी पर फोड़ा। आजाद ने कहा कि पार्टी ने केवल चार राज्यों के चुनाव जीते और छह मामलों में गठबंधन की स्थिति में आने में सफल रही। लेकिन दुर्भाग्य है कि आज कांग्रेस केवल दो राज्यों में शासन कर रही है और दो अन्य राज्यों में बहुत मामूली गठबंधन सहयोगी है।
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राहुल गांधी ने पार्टी के सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों और नेताओं का अपमान किया है। उन्होंने हड़बड़ी में उपाध्यक्ष पद छोड़ दिया, जिसके बाद आपने (सोनिया गांधी) अंतरिम अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण किया। लेकिन आप आज भी पिछले तीन वर्षों से धारण किए हुए हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आज एक रिमोट कंट्रोल मॉडल बन गई है।
‘कांग्रेस एक रिमोट कंट्रोल पार्टी’
उन्होंने कहा कि पार्टी को सही नसीहत और सलाह देने का गुनाह का अंजाम भी मैंने भुगता है। जब साल 2020 में उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों सहित 22 वरिष्ठ नेताओं के साथ पार्टी के लिए सही सलाह औऱ सुझाव लिखे थे, तो चाटुकारों को यह भी बर्दाश्त नहीं हुआ, एआईसीसी चलाने वाली मंडली के निर्देश पर जम्मू में मेरा नकली अंतिम संस्कार जुलूस निकाला गया। इस अनुशासनहीनता को करने वालों का दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिवों का राहुल गांधी ने व्यक्तिगत रूप से स्वागत किया। आप (सोनिया गांधी) सिर्फ नाममात्र की अध्यक्ष हैं, काम तो राहुल और उनके पीए कर रहे हैं।
‘बैठकों में दी गई गालियां, अपमानित किया गया’
गुलाम नबी ने कहा कि पार्टी के लिए सही दिशा में ले जाने वाले विचारों को रचनात्मक और सहयोगात्मक तरीके से बोर्ड पर लेने के बजाय CWC की बैठक बुलाई गई। जिसमें मुझे गाली दी गई, अपमानित किया गया और बदनाम किया गया। कांग्रेस अब खुद को संभालने केलिए प्रॉक्सी की सहारा ले रही है। पार्टी पूरी तरह से नष्ट हो गई है।
आजाद ने राहुल गांधी को राजनीति के लिए अयोग्य करार करते हुए कहा है कि पिछले 8 सालों में भाजपा का झंडा देश-विदेश, यहां तक कि देश के छोटे से छोटे इलाके में फहराया जा रहा है क्योंकि कांग्रेस ने उन्हें मौका दिया है। पार्टी के नेतृत्व ने एक गैर-गंभीर व्यक्ति को पार्टी के शीर्ष पर थोपने की कोशिश की है।
आजाद ने कांग्रेस के चुनावों पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया एक दिखावा है, असल बात है कि देश के किसी भी कोने में संगठन स्तर पर चुनाव नहीं हुए हैं। किसी बूथ, ब्लॉक, जिले या राज्य में कहीं भी मतदाता सूची प्रकाशित नहीं हुई। नामांकन आमंत्रित नहीं किया गया। जांच की गई, मतदान केंद्र स्थापित किए गए और चुनाव हुए। पार्टी अपनी इस हालत के लिए खुद ही जिम्मेदार है।