Kargil Vijay Diwas : नई दिल्ली। साल 1999 में आज ही के दिन भारत ने दुनिया के सबसे दुर्गम युद्ध क्षेत्रों में एक द्रास में पाकिस्तान को खदेड़ कर कारगिल युद्ध में फतह हासिल की थी। भारत आज इसी जीत का जश्न ‘करगिल विजय दिवस’ के रूप में मना रहा है। करगिल विजय दिवस की 24वीं वर्षगांठ के अवसर पर मंगलवार को लामोचेन (द्रास) में सेना की ओर से एक ‘ब्रीफिंग’ का आयोजन किया गया। इस मौके पर पर थल सेना के पूर्व अध्यक्ष जनरल वेद प्रकाश मलिक ने बर्फीले पहाड़ों पर तैनात सशस्त्र बलों को संदेश दिया कि हमेशा चौकन्ने रहें और कभी भी अपने दुश्मन पर भरोसा न करें। चाहे वह पाकिस्तान हो या चीन। बता दें कि जनरल मलिक 1999 में करगिल में हुई जंग के दौरान सेना प्रमुख थे।
उन्होंने विश्वास जताया कि अगर आज युद्ध की स्थिति बनती है तो भारत करगिल के दौरान की तुलना में बेहतर तरीके से तैयार है। उन्होंने कहा कि करगिल युद्ध से उनकी सबसे बड़ी सीख यह है कि दोस्ती का ‘राजनीतिक दिखावा’ करने के बावजूद दुश्मन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। जनरल मलिक के अनुसार यह ‘दूध का जला छाछ भी फूंक फूंक कर पीता है’ वाली स्थिति है। जनरल मलिक ने कहा कि कभी भी अपने दुश्मन पर भरोसा न करें, भले ही समझौतों पर हस्ताक्षर जैसा दोस्ती का राजनीतिक दिखावा ही क्यों न किया जा रहा हो।
संघर्षविराम से फर्क नहीं पड़ता, कई बार टूटा
पूर्व सेना प्रमुख ने कहा, संघर्षविराम हो या न हो, मैंने कई बार संघर्षविराम टूटते देखा है। इसलिए, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, हमें एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) या एलओसी (नियंत्रण रेखा) पर सतर्क रहना होगा। करगिल युद्ध इस बात का सबूत है कि भारतीय सेना के पास दुश्मन को खदेड़ने की क्षमता है, भले ही उनका हमला अचानक हुआ हो। उन्होंने कहा, “ सशस्त्र बल बदल गए हैं। हमारे पास बेहतर उपकरण, निगरानी तंत्र है। हम कोई भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं।
पूर्वसैनिकों एवं ‘वीर नारियों’ से संवाद
सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे ने में पूर्व सैनिकों, ‘वीर नारियों’, वीरता पुरस्कार विजेताओं और स्थानीय लोगों से संवाद किया। सेना ने मंगलवार को ट्वीट किया, करगिल विजय दिवस 2023 की पूर्व संध्या पर सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने पूर्व सैनिकों, वीर नारियों, वीरत पुरस्कार विजेताओं और द्रास-करगिल की अवाम से संवाद किया।