हिमाचल प्रदेश के नतीजों में कांग्रेस शानदार जीत दर्ज करती नजर आ रही है। जिनमें उसे बहुमत मिलता नजर आ रहा है। रूझानों में भाजपा को 26 औऱ कांग्रेस को 39 सीटें मिलती नजर आ रही हैं। कांग्रेस को मिलती इस जीत ने भाजपा को चिंता में डाल दिया है। कांग्रेस की इस बंपर जीत ने हिमाचल के रिवाज को कायम रखा है। वहीं अब हिमाचल में कांग्रेस की जीत के फैक्टर निकाले जा रहे हैं। गुजरात की तरह हिमाचल में भी कांग्रेस ने राजस्थान मॉडल को लागू करने की बात कही थी और इसे अपने घोषणापत्र में भी लागू किया था। कई राजनीतिक विश्लेषक बता रहे हैं कि इनमें सबसे ज्यादा अशोक गहलोत की OPS स्कीम ने कमाल दिखाया है।
OPS ने कर दिया ‘खेला’
राजस्थान में OPS लागू होने के बाद पंजाब और हिमाचल में भी इस मांग ने जोर पकड़ लिया था। कांग्रेस ने हिमाचल में अपने चुनावी प्रचार में OPS को प्रमुख मुद्दा बनाया था। चुनावी माहौल में रंग भरने के लिए भाजपा ने भी हिमाचल में OPS को लागू करने की बात की थी। दूसरी तरफ कांग्रेस ने राजस्थान की कई योजनाओं को हिमाचल में लागू करने की बात की थी । इसमें राजस्थान की सबसे ज्यादा सफल बताई जा रही चिरंजीवी योजना को भी हिमाचल में लाने की घोषणा की गई थी।
गहलोत-प्रियंका-पायलट की तिगड़ी ने किया कमाल
कांग्रेस की जीत का एक और कारण प्रियंका गांधी को भी माना जा रहा है। दरअसल प्रियंका गांधी की नया घर शिमला है तो वे चुनाव प्रचार में लोगों से भावनात्मक लगाव से भी जुड़ती रहीं और कांग्रेस की खूबियों को गिनाती रहीं। भाजपा की तरह कांग्रेस ने भी हिमाचल में स्टार प्रचारकों की भीड़ लगी दी थी। हिमाचल की जीत में राजस्थान कांग्रेस का कितना बड़ा हाथ रहा है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को हिमाचल चुनाव का पर्यवेक्षक बनाया गया था। उन्होंने ताबड़तोड़ दौरे कर राजस्थान कांग्रेस की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाया और भाजपा को उखाड़ फेंकने का संकल्प दिलाया। इसके साथ ही उनका एक भाषण सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है जिसमें वे कह रहे हैं कि मैं कोई काम अधूरा नहीं छोड़ता। हिमाचल में कांग्रेस की प्रचंड बहुमत से सरकार बनेगी। पायलट की यह भविष्यवाणी अब सच होती दिखाई दे रही है।
हर 5 साल में सत्ता परिवर्तन ही हिमाचल का रिवाज
लेकिन कुछ विश्लेषक हिमाचल में हुई कांग्रेस की जीत को ज्यादा हैरानगी से नहीं देख रहे क्योंकि हर 5 साल में सत्ता परिवर्तन हिमाचल का चुनावी इतिहास रहा है और इस चुनाव में कांग्रेस की इस जीत ने इस परिवर्तन के रिवाज को कायम रखा है। हिमाचल में साल 1985 से ही हर बार सत्ता की बागडोर विरोधी पार्टी के हाथ में जाती रही है इसलिए 5 साल भाजपा सरकार देखने के बाद फिर से सत्ता परिवर्तन होना पहले से अनुमानित था।