जयपुर। अक्सर घर से निकलने के साथ ही आपको ट्रैफिक टाइट, मॉल के बाहर, बाजार या किसी सार्वजनिक जगह पर भीख मांगने वाले लोग दिख जाएंगे, कई बार आपने इनको पैसे भी दिए होंगे, लेकिन इस खबर को पढने के बाद आपके होश उड़ने वाले है। दरअसल, हैदराबाद पुलिस ने हाल ही में कार्रवाई करते हुए ‘भिखारी माफिया’ का पर्दाफाश किया है।
प्रति माह कमा लेते है 1.5 लाख रुपये से 2 लाख रुपये तक
हैदराबाद शहर में जंक्शनों पर भीख मांगने वाले कुछ परिवारों को पुलिस ने हिरासत में लिया गया था। ये परिवार हैदराबाद, साइबराबाद और राचकोंडा के त्रि-आयुक्तालयों में यातायात जंक्शनों पर पूर्ण नियंत्रण रखते हैं और यहां भीख मांगते हैं। इनकी महिने की कमाई 1.5 लाख रुपये से 2 लाख रुपये तक हो जाती है।
पूरा परिवार करता है एक जगह कब्जा
भीख मांगने के लिए पूरा परिवार एक जंक्शन पर कब्जा कर लेता है और दूसरों को वहां भीख नहीं मांगने देता है। औसतन, ये लोग प्रति दिन 4,000 रुपये से 7,000 रुपये के बीच कमाते हैं। हैदराबाद कमिश्नरी टास्क फोर्स के एक अधिकारी के अनुसार इन गिरोहों की प्राथमिकता पैराडाइज़, जुबली हिल्स चेकपोस्ट, केबीआर पार्क, मसाब टैंक, आबिद रोड, टैंक बंड, कोटि महिला कॉलेज, चंद्रयानगुट्टा और मेहदीपट्टनम जैसे जंक्शन हैं।
जगह और समय का भी बटंबारा
भीख मांगने वाले इस समूहों के द्वारा अलग-अलग टाइमिंग स्लॉट और ट्रैफिक सिग्नल पॉइंट तय करके काम किया जाता है। भीख मांगने के लिए परिवार सुबह 10 बजे के आसपास ऑटो रिक्शा में आते हैं और पूरे दिन जंक्शन पर रहते हैं। शाम को, वे ऑटो रिक्शा में अपने घरों को लौटते हैं।
भीख मांगने के लिए 200 रुपये रोज देते है
जानकारी के अनुसार कई लोगों ने पैसे के लालच में आकर भिखारी माफियाओं का काम करना शुरु कर दिया है। इन माफियाओं द्वारा शारीरिक रूप से विकलांग लोगों, बच्चों, बूढ़ों और महिलाओं को भीख मांगने का रोजगार देना शुरू कर दिया है। इन लोगों को प्रत्येक दिन भीख मांगने के लिए 200 रुपये दिए जाते है। जानकारी के अनुसार भिखारी माफिया लोगों को पैसे ब्याज पर भी देते है।
हैदराबाद पुलिस ने किया अनिल पवार को गिरफ्तार
शहर में बढ़ती भिखारियों की संख्या के बारे में पता लगाने के लिए पुलिस ने स्पेशल टॉस्क फोर्स का गठन किया। पुलिस ने इस पूरे मामले में अनिल पवार को गिरफ्तार किया। अनिल मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले हैं।
उसने हैदराबाद के पॉश बंजारा हिल्स और जुबली हिल्स इलाकों की ट्रैफिक लाइट पर भिखारियों को काम करने के लिए लोगों को रख रखा है। पुलिस जांच में पता चला कि वह उनसे हर दिन 4,500 से 6,000 रुपये वसूलता था। लेकिन उन्हें मजदूरी के रूप में केवल 200 रुपये देता था। शहर के लोग भिखारियों से परेशान होने लगे, तो पुलिस ने इस कार्रवाई को अजांम दिया।