NIA Raid On PFI : पूरे देश में आज NIA और ED की चरमपंथी संगठन PFI के ठिकानों पर रेड जारी है। बिहार, यूपी, महाराष्ट्र, दिल्ली राजस्थान समेत 11 राज्यों में कार्रवाई की जा रही है। अब तक 106 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। पिछले कुछ सालों में और बीते 4 महीनों में देश में सांप्रदायिक हिंसा की हुई अधिकतर घटनाओं में PFI का कनेक्शन निकल कर सामने आ चुका है। अगर आज की कार्रवाई की ही बात करें तो NIA ने 106 लोगों को गिरफ्तार किया तो PFI के कार्यकर्ता और समर्थकों ने NIA के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। हालांकि टीम ने इन प्रदर्शन करने वाले लोगों को भी हिरासत में ले लिया है। बड़ी संख्या में PFI के समर्थक होना देश में इस संगठन की पैठ मजबूत होने की तरफ इशारा कर रहा है।
सांप्रदायिक दंगों के लिए फंडिंग करता है PFI
पिछले 4 महीनों में देश के अलग-अलग राज्यों में हुए सांप्रदायिक दंगों की जांच में सामने आया है कि इन दंगों को कराने के लिए PFI फंडिंग देता था। इसकी पुष्टि राजस्थान के करौली दंगे, जोधपुर दंगे में तो यूपी में हुए कानपुर दंगे में हुई है। इसके अलावा दूसरी घटनाओं पर नजर डालकर देखें तो कर्नाटक में उपजे हिजाब मामले में भी PFI की सक्रियता सामने आई है। साल 2019-2020 में दिल्ली के शाहीन बाग मामले को लेकर तो पूरे देश में हिंसा भड़क गई थी। उसकी जांच में भी PFI का नाम आया था। दिल्ली में PFI का मुख्य कार्यालय शाहीन बाग में ही है। यही नहीं राजस्थान के उदयपुर कन्हैयालाल हत्याकांड मामले में भी PFI कनेक्शन की पुष्टि हुई थी।
क्या है PFI
PFI देश भर में तब चर्चा में आया था, जब 2010 में उसके लोगों ने केरल के एक प्रोफेसर टीजे जोसेफ पर ईशनिंदा का आरोप लगाकर उनकी हथेली काट दी थी। PFI यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया एक इस्लामिक चरमपंथी संगठन है। इसकी स्थापना साल 1993 में हुई थी। नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट यानी NDF से अलग होकर PFI बना था। लेकिन साल 2006 में NDF ने PFI का विलय कर लिया। इसका हेडक्वार्टर दिल्ली में है लेकिन केरल में इसकी जड़ें बेहद मजबूत हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों देश के अन्य राज्यों में PFI ने जड़ें जमा ली हैं। सिमी आतंकियों के तरह ही PFI काम करता है। इसलिए PFI के सिमी और खूंखार आतंकवादी संगठन ISIS से जुड़े होने के संकेत मिलते रहे हैं। बता दें कि अब तक PFI लगभग 20 राज्यों में सक्रिय है।
राजस्थान जैसे शांत प्रदेश में भी अब PFI का दंगा
हिंदू धर्म के नए साल के दिन करौली में हुआ सांप्रदायिक दंगे का मंजर अभी भी हर किसी के जेहन में है। इस दंगे को भड़काने काम और इसकी फंडिंग PFI ने ही की थी। हनुमान जयंती के दिन भी जोधपुर में सांप्रदायिक दंगा हुआ था। इसमें भी PFI का नाम सामने आया था। अगर थोड़ा और पीछे जाते हैं तो पता चलता है कि पिछले 3 साल में राजस्थान में 6 दंगे हुए हैं। साल 2019 में टोंक का दंगा, साल 2020 में डूंगरपुर का दंगा, साल 2021 में बारां और झालावाड़ में सांप्रदायिक हिंसक झड़प हुई थी।
इसके बाद अब इस साल जोधपुर और करौली में दंगा हुआ। बात सिर्फ यहीं नहीं थमी कोटा में इसी साल फरवरी में PFI की रैली को भी मंजूरी दी गई थी औऱ यह रैली हुई भी थी। इसके बाद1 अप्रैल को PFI ने डीजीपी एमएल लाठर और सीएम गहलोत को भी चिट्टठी लिखी थी। जिसमें PFI ने साफ तौर पर प्रदेश में दंगे की चेतावनी थी। लेकिन इस चिट्ठी को दरकिनार कर सुरक्षा के कोई इंतजामा नहीं किए गए। नतीजा, हमें करौली और जोधपुर दंगे के रूप में देखना पड़ा।
कानपुर दंगों और हिजाब मामले में PFI ने की टेरर फंडिंग
यूपी में 2-3 जून 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी औऱ तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कानपुर दौरे पर थे और 3 जून को ही कानपुर की नई सड़क पर जबरदस्त सांप्रदायिक भड़की थी। इस दंगे में जमकर आगजनी और पथराव हुआ था। कई पुलिस अधिकारियों को गंभीर चोटें आईं थी। VVIP दौरे के दौरान इस तरह का दंगा होने से कई सवाल खड़े हुए थे। इस दंगे की NIA जांच में सामेन आया था कि दंगे में PFI पूरी तरह सक्रिय था। उसने ही इस हिंसा में टेरर फंडिंग की थी। दूसरी तरफ कर्नाटक से निकल कर पूरे देश में फैले हिजाब मामले में भी जो हिंसा भड़की और विरोध प्रदर्शन हुए उसमें भी PFI की संलिप्तता सामने आई है। इसके लिए फंडिंग भी PFI ने ही उपलंब्ध कराई थी।
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