Rahul Gandhi Bharat Jodo Nyay Yatra: कांग्रेस नेता राहुल गांधी पिछले कई दिनों से भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर है जहां फिलहाल उनका काफिला असम से गुजर रहा है. वहीं सोमवार को राहुल गांधी ने दावा किया है कि उन्हें नगांव के एक मंदिर में प्रवेश देने से रोका गया. राहुल ने कहा कि ‘मुझे मंदिर जाने से पुलिस की ओर से रोका गया, मैं सिर्फ मंदिर में हाथ जोड़ना चाहता था’. वहीं मंदिर में जाने से रोके जाने के बाद राहुल गांधी वहीं धरने पर बैठ गए और कांग्रेस के अन्य नेता और समर्थकों के साथ रघुपति राघव राजा राम की धुन गाने लगे.
मालूम हो कि इसी दौरान पीएम मोदी अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कर रहे थे. इसके बाद गौरव गोगोई और कांग्रेस के कुछ स्थानीय नेताओं ने संत श्रीमंत शंकरदेव की जन्मस्थली बताद्रवा मंदिर में जाकर दर्शन किए.
वहीं राहुल गांधी को रोके जाने पर राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि असम सरकार द्वारा बार-बार राहुल गांधी की यात्रा में बाधा पैदा करना दिखाता है कि असम सरकार का लोकतंत्र में भरोसा नहीं है और भारत जोड़ो न्याय यात्रा के बढ़ते जनसमर्थन को देखकर बीजेपी की घबराहट बढ़ती जा रही है.
क्या है पूरा माजरा?
दरअसल 22 जनवरी को राहुल गांधी असम के समाज सुधारक संत श्रीमंत शंकरदेव की जन्मस्थली बताद्रवा जाने की अनुमति मांगी थी जिसके बाद उन्हें वहां जाने की इजाजत मिली लेकिन राहुल गांधी जब सुबह 7 बजे दर्शन के लिए पहुंचे तो उन्हें दर्शन करने से पुलिस ने रोक दिया. इसके बाद राहुल गांधी वहीं पर अपने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ धरने पर बैठ गए.
वहीं काफी देर हंगामा होने के बाद मंदिर कमेटी ने स्थानीय सांसद और विधायकों को मंदिर में जाने की अनुमति दी. कांग्रेसी नेताओं का कहना था कि राहुल गांधी को वहां जाने की परमिशन 11 जनवरी को ही मिल गई थी लेकिन आज अचानक बताया गया कि राहुल गांधी वहां नहीं जा सकते हैं.
क्या बोले असम के मुख्यमंत्री?
वहीं असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि राहुल गांधी को 22 जनवरी को बताद्रवा में श्रीमंत शंकरदेव के जन्मस्थान का दौरा करने से बचना चाहिए क्योंकि भगवान राम और मध्यकालीन युग के वैष्णव संत के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं की जा सकती है.
इसके अलावा सरमा ने राहुल गांधी की यात्रा पर तंज कसते हुए कहा कि पूरे भारत में सोमवार को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा हो रही है ऐसे में भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान अल्पसंख्यक बहुल इलाकों के संवेदनशील रास्तों में कमांडो की तैनाती की गई है.