नई दिल्ली। भगवान को लेकर नेताओं के विवादित बोल थमने का नाम नहीं ले रहे है। अब असम कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा ने भगवान कृष्ण-रुक्मिणी को लेकर विवादित बयान दिया है। कांग्रेस नेता बोरा ने लव जिहाद का समर्थन करते हुए कहा कि भगवान कृष्ण-रुक्मिणी का विवाह भी लव जिहाद (love Jihad) था। उनके इस बयान पर पलटवार करते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि लव और जिहाद दोनों को मिलाया नहीं जा सकता। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर कोई उनके खिलाफ केस दर्ज करवाता है तो कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल, हाल ही में गोलाघाट जिले में तिहरा हत्याकांड हुआ था। नजीबुर हुसैन ने अपनी हिंदू पत्नी संघमित्रा घोष और उसके माता-पिता की हत्या कर दी थी। जिस पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस नेता भूपेन बोरा ने कहा कि भारत में प्राचीन काल से अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाह होते रहे हैं। लेकिन अब असम के सीएम इसे सांप्रदायिक रंग दे रहे हैं और इसे लव जिहाद से जोड़ रहे है।
उन्होंने कहा कि प्यार और जंग में सब कुछ जायज है। परस्पर विवाह प्राचीन काल से होता आ रहा है। जब भगवान कृष्ण रुक्मिणी से विवाह करना चाहते थे तो अर्जुन स्त्री का भेष बनाकर आए थे। महाभारत में भी राजा धृतराष्ट्र और गांधारी का विवाह लव जिहाद का उदाहरण था। द्रौपदी ने कर्ण को अस्वीकार कर दिया क्योंकि वह निचली जाति का था। तो ये चीजें हमारे समाज में चल रही हैं।
असम के सीएम ने किया पलटवार
कांग्रेस नेता भूपेन बोरा के बयान पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पलटवार करते हुए कहा कि लव और जिहाद दोनों को मिलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणी के बीच में प्रेम हुआ था। महाभारत काल के कई प्रेम की कहानी मिल जाएंगी। आजकल लव जिहाद हो रहा है, इस कारण हत्याएं हो रही हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई मुकदमा दर्ज कराएगा तो बोरा को गिरफ्तार किया जाएगा।
पहले भी कई नेता दे चुके हैं विवादित बयान
हालांकि, यह कोई पहली बार नहीं है जब किसी नेता ने भगवान को लेकर विवादित बयान दिया है। इससे पहले भी कई नेता गलत बयानबाजी कर चुके है। कुछ दिनों पहले ही गहलोत सरकार के बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढा ने कहा था कि सीता माता बहुत सुंदर थी। इसी सुंदरता के कारण भगवान राम और रावण उनके पीछे पागल थे। इसी साल मार्च महीने में भगवान राम को लेकर सपा नेता राजपाल कश्यप ने भी विवादित बयान दिया था। कश्यप ने कहा था कि वनवास के समय भी भगवान राम जंगलों में आदिवासियों और वनवासियों के साथ ही रहते थे। वो लंका युद्ध में कोल, भील, गड़रिया, पाल और निषाद समुदाय के लोगों को साथ लेकर गए थे।
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