नई दिल्ली। देश में 163 साल से चल रहे अंग्रेजों के जमाने कानून अब खत्म होने वाले है। गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में ब्रिटिश कालीन भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने के लिए तीन नए विधेयक पेश किए। अब तीनों विधेयकों को जांच के लिए संसदीय कमेटी के पास भेजा जाएगा। इसके बाद लोकसभा और राज्यसभा में इन्हें पास किया जाएगा।
नए कानूनों के तहत पहचान छिपाकर किसी महिला से शादी करने या विवाह, पदोन्नति और रोजगार के झूठे वादे की आड़ में यौन संबंध बनाने पर 10 साल तक की कैद हो सकती है। इसके साथ ही राजद्रोह के कानून को अब पूरी तरह समाप्त किया जा रहा है। ‘मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा पीट पीटकर हत्या करना)’ के लिए सात साल या आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान होगा। अब आरोपियों से पूछताछ से लेकर ट्रायल तक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये करनी पड़ेगी। इनता ही नहीं, अब ट्रायल कोर्ट को हर फैसला अधिकतम तीन साल में देना होगा।
बता दें कि तीनों बिलों के पास होने के बाद कई धाराएं और प्रावधान बदल जाएंगे। आईपीसी में 511 धाराएं हैं, जो अब 356 ही रह जाएगी। 175 धाराओं में बदलाव किया गया है। 22 धाराओं को खत्म किय गया है तो 8 नई जोड़ी गई है। CrPC में भी 533 धाराएं बचेंगी और 160 धाराएं बदल जाएंगी। CrPC में 9 धाराएं हटाई गई और 9 नई जोड़ी गई है।
इन तीन कानूनों में हुआ बदला
केंद्र की मोदी सरकार ने साल 1860 में बने भारतीय दंड संहिता, साल 1898 में बने सीआरपीसी और 1872 में बने भारतीय साक्ष्य संहिता कानून में बदलाव किया है। अब इन कानूनों की जगह भारतीय न्याय संहिता-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 और भारतीय साक्ष्य संहिता-2023 ने ले ली है।
ये हुए खास बदलाव
अंग्रेजों के शासन को बचाने के लिए बनाए गए राजद्रोह कानून को हटा दिया गया है। अब इसकी जगह देशद्रोह शब्द ने ली ली है। अब धारा 150 के तहत देश के खिलाफ किसी भी प्रकार की टिप्पणी पर 7 साल से उम्रकैद तक सजा संभव होगी। अभी राजद्रोह में 3 साल से उम्रकैद तक होती है। नए कानून के तहत देशद्रोह के आरोपी की पूरी संपत्ति को कुर्क करने का अधिकार भी है। भगोड़ों के लिए भी सजा का प्रावधान किया गया है।
मॉब लिंचिंग में 7 साल की सजा या आजीवन कारावास और मृत्युदंड का प्रावधान इस कानून में किया गया है। नौकरशाहों के खिलाफ शिकायत दायर करने के लिए संबंधित अधिकारियों को 120 दिन के अंदर अनुमति देनी होगी या उससे इनकार करना होगा। यदि कोई उत्तर प्राप्त नहीं होता तो इसे ‘हां’ माना जाएगा। छोटे-मोटे अपराधों के लिए 24 घंटे की सजा या एक हजार रुपए जुर्माना या सामुदायिक सेवा करने की सजा हो सकती है।
भगोड़े आरोपियों पर अब चल सकेगा मुकदमा
भगोड़े आरोपियों की अनुपस्थिति में उन पर मुकदमा चलाने का ऐतिहासिक निर्णय भी लिया गया है। कई मामलों में दाऊद इब्राहिम वांछित है, वह देश छोड़कर भाग गया, लेकिन उस पर मुकदमा नहीं चल सकता। हमने तय किया है कि सत्र अदालत जिसे भगोड़ा घोषित करेगी, उसकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलेगा और सजा सुनाई जाएगी।उन्होंने कहा कि पहले आतंकवाद की कोई परिभाषा नहीं थी और पहली बार आतंकवाद को परिभाषित किया जा रहा है।
यौन हिंसा मामले में पीड़िता के बयान की रिकॉडिंग होगी अनिवार्य
शाह ने कहा कि यौन हिंसा और उत्पीड़न के मामले में पीड़िता का बयान और उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य होगी। उन्होंने कहा कि नाबालिगों से रेप के मामले में अधिकतम मृत्युदंड का प्रावधान भी है। इसके अलावा नौकरशाहों के खिलाफ शिकायत दायर करने के लिए संबंधित अधिकारियों को 120 दिन के अंदर अनुमति देनी होगी या उससे इनकार करना होगा। यदि कोई उत्तर प्राप्त नहीं होता तो इसे ‘हां’ माना जाएगा।
शून्य FIR की प्रणाली, 15 दिन में भेजनी होगी शिकायत
नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार शून्य प्राथमिकी की प्रणाली ला रही है जिसके तहत देश में कहीं भी अपराध हो, उसकी प्राथमिकी हिमालय की चोटी से कन्याकु मारी के सागर तक कहीं से भी दर्ज कराई जा सकती है। संबंधित थाने को 15 दिन के अंदर शिकायत भेजी जाएगी। यह सरकार ई-प्राथमिकी की व्यवस्था शुरू करेगी। अब प्रत्येक जिले में एक पुलिस अधिकारी नामित होगा जो हिरासत में लिए गए आरोपियों के परिजनों को इस बात का प्रमाणपत्र देगा कि आपके परिजन हमारी गिरफ्त में हैं।अब पुलिस को परिजनों को ऑनलाइन और व्यक्तिगत सूचना देनी होगी।
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नए कानूनों में ये भी होंगे सुधार
-अब धोखेबाज को 420 नहीं कहा जाएगा। इसे अब भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 316 के रूप में सूचीबद्ध किया जाएगा।
-अदालतों में लंबित मामलों की संख्या कम करने और सुनवाई में देरी रोकने के लिए तीन साल से कम कारावास वाले मामलों में ‘त्वरित सुनवाई’ (समरी ट्रायल) की प्रणाली शुरू की जाएगी जिससे सत्र अदालतों में 40 प्रतिशत तक मामले कम हो जाएंगे।
-पुलिस को 90 दिन के अंदर आरोप पत्र दायर करना होगा जिसे अदालत 90 दिन और बढ़ा सकती है।
-पुलिस को अधिकतम 180 दिन में जांच समाप्त करनी होगी।
-सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत को 30 दिन के अंदर फैसला सुनाना होगा और इसे एक सप्ताह के अंदर ऑनलाइन अपलोड करना होगा।
-सात साल या अधिक कारावास की सजा वाले अपराध के मामले में पीड़ित का पक्ष सुने बिना कोई सरकार मामले को वापस नहीं ले सकेगी। इससे नागरिकों के अधिकारों की रक्षा होगी।
-ईमेल, एसएमएस, लैपटॉप, कम्प्यूटर समेत अनेक प्रौद्योगिकियों को साक्ष्य बनाने की वैधता मिलेगी।
-तलाशी और जब्ती में वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी तथा पुलिस द्वारा ऐसी रिकार्डिंग के बिना दर्ज आरोप पत्र मान्य नहीं होगा।
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