दिल की बीमारियां इन दिनों काफी बढ़ती जा रही हैं। इसी के साथ दिल का रोग आपके स्वास्थ्य पर भी काफी गहरा प्रभाव डालता है। लेकिन जरा सोचकर देखिए अगर ये रोग वयस्कों में इतनी दिक्कत पैदा कर सकता है तो बच्चों में कितनी तकलीफ पैदा करता होगा। अगर आप ये सोच रहे हैं कि, बच्चों में दिल की बीमारी कहा होती है तो आको बता दें कि, हर साल भारत में तकरीबन 1.5 लाख से 2 लाख बच्चे दिल की बीमारी के साथ पैदा होते हैं। जिसे मेडिकल भाषा में Congenital Heart Disease भी कहते हैं। आईए जानते हैं कि, बच्चों में और किस प्रकार के हृदय रोग मिलते हैं।
विकासशील हृदय रोग (Congenital Heart Disease)
कुछ नवजात शिशुओं को जन्म से ही दिल क गड़बड़ी होती है, जैसे कि विकासशील हृदय रोग (Congenital Heart Disease)। इसमें शिशु के हृदय में गलतियाँ होती हैं जो उसके सामान्य रक्त सर्कुलेशन को प्रभावित करती हैं। यह गंभीर समस्या हो सकती है और चिकित्सा के माध्यम से संशोधित की जानी चाहिए।
रखरखाव और खान-पान की वजह हो सकती है बीमारी
बच्चों के खान-पान, एक्सरसाइज और फिजिकल एक्टिविटी के प्रति संतुलित ध्यान न देने से वे दिल से जुड़ी समस्याओं का शिकार हो सकते हैं। अनहेल्दी, ओबेसिटी, शराब और तंबाकू का सेवन, और अनियमित जीवनशैली दिल स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं।
केमिकल की वजह से भी हो सकती है बीमारी
कई बार बच्चों को गलत दवा के असंतुलन के कारण दिल संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, कुछ अवांछित दवाओं का सेवन, धूम्रपान या पैरों के नकारात्मक प्रभाव, विषाक्त पदार्थों से प्रतिक्रियाओं के कारण, बच्चों के दिल को प्रभावित कर सकते हैं।
संक्रामक बीमारियाँ
कई बार संक्रामक रोग दिल के लिए भी खतरा पैदा कर सकते हैं, जैसे कि रश (रबीज) या कुछ जीवाणु संक्रमण। यह रोग बच्चों के लिए खतरनाक हो सकते हैं और उचित चिकित्सा द्वारा संशोधन की जानी चाहिए।
बच्चों के दिल की बीमारियों का इलाज उनके लक्षणों, रोग की प्रकृति और गंभीरता के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं। यदि आपके बच्चे को लगातार थकान, सांस लेने में परेशानी, बार-बार धड़कन बढ़ना, उल्टी, तापमान में बढ़ोतरी, या अन्य चिंताजनक लक्षण हो रहे हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।