Happy hypoxia: कोरोना महामारी की दो लहरें जाने के बाद भी जाने-अनजाने इस महामारी के दिए घाव से मौत का सिलसिला अभी पूरी तरह थमा नहीं है. आपने बीते दिनों देखा होगा कि कोई जिम करता तो कोई डांस करता अचानक मौत की चपेट में आ रहा है जिसको लेकर हर तरफ चिंता का माहौल बना हुआ है. कोविड की चपेट को लेकर आपने सुना होगा कि इसका लंग्स पर बुरा असर पड़ता है लेकिन असल में ये वायरस हमारे पूरे शरीर को खोखला कर देता है जिसका असर बीमारी जाने के कई दिनों बाद भी देखा जा रहा है.
हम बात कर रहे हैं कोरोना के बाद शरीर में अचानक कम होते ऑक्सीजन लेवल की जो लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रही है. विशेषज्ञों ने इसे हैप्पी हाइपोक्सिया नाम दिया है जिसके मुताबिक कुछ लोगों में कोरोना से संक्रमित या ठीक होने के बाद कोरोना के कुछ ऐसे लक्षण हैं जो दिखाई नहीं देते उनमें ऑक्सीजन का स्तर कम होना मुख्य है. इस स्थिति में अचानक सांस फूलने लगती है और ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लग जाती है.
राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने हाल में इस स्थिति का जिक्र किया है जहां उन्होंने कहा है कि हाल में मैं कोविड से संक्रमित हुआ जिसके बाद मेरे शरीर में हैप्पी हाइपॉक्सिया की स्थिति बनी लेकिन डॉक्टर्स ने इसे समय रहते पहचान लिया परन्तु इससे मुझे 5-6 दिन बहुत परेशानी हुई. गहलोत ने कहा है कि इस बीमारी में कई बार मरीज को भी पता नहीं चलता क्योंकि सांस लेने में भी तकलीफ नहीं होती परन्तु समय पर डाइग्नोसिस ना हो तो यह बेहद खतरनाक साबित हो सकता है.
क्यों कहा जाता है ‘साइलेंट किलर’?
बता दें कि इस बीमारी के नाम के आगे वैसे तो हैप्पी लगा है लेकिन ये लोगों की जान के लिए खतरनाक साबित हो रही है. जानकार हैप्पी हाइपोक्सिया को कोरोना की सबसे खतरनाक स्टेजों में से एक मानते हैं. इसकी सबसे चिंताजनक बात ये है कि कोविड मरीज को इस दौरान ये पता नहीं लगता है कि वह कब इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आ गया है.
क्योंकि कोरोना मरीजों में शुरुआती दौर पर इसके कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देते हैं इसी वजह से इसे ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है. दरअसल हैप्पी हाइपोक्सिया उस दौरान होता है जब किसी के शरीर में उसके खून में ऑक्सीजन का स्तर बहुत कम हो जाता है.
क्यों होता है हैप्पी हाइपोक्सिया?
जानकारों का कहना है कि हैप्पी हाइपोक्सिया का मुख्य कारण फेफड़ों में खून की नसों में थक्के जम जाना है जिसके कारण फेफड़ों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है और इसके बाद खून में ऑक्सीजन सेचुरेशन की मात्रा कम हो जाती है. इसके अलावा विशेषज्ञों का मानना है कि हाइपोक्सिया के कारण दिल, दिमाग, किडनी जैसे शरीर के प्रमुख अंग काम करना बंद कर देते हैं.