ब्रिटेन की स्कॉच-व्हिस्की इंडस्ट्री भारत और ब्रिटेन के बीच होने वाले फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के टलने के कारण मुश्किलों में घिरती नजर आ रही है। एग्रीमेंट नहीं हो पाने के कारण ब्रिटिश इंडस्ट्री भारत के फेस्टिव सीजन में अपने प्रोडक्ट्स नहीं भेज पाएगी और इसका सीधा असर कंपनियों के बिजनेस और उनके मुनाफे पर पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि भारत दुनिया में आठवां सबसे बड़ा व्हिस्की इंपोर्टर देश है।
क्या है फ्री ट्रेड एग्रिमेंट (FTA)
पिछले काफी समय से भारत और ब्रिटेन के बीच एक मुक्त व्यापार समझौते के लिए बातचीत हो रही थी और इसके लिए पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने समय सीमा भी तय कर दी थी परन्तु ब्रिटेन के बदलते राजनीतिक परिदृश्य में इस डील को आगे के लिए टाल दिया गया। जिसका प्रभाव दोनों देशों के बीच होने वाले व्यापार पर भी पड़ा है।
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क्यों व्हिस्की कंपनियों के लिए है जरूरी
फ्री ट्रेड एग्रिमेंट (FTA) नहीं होने का भले ही दोनों देशों के राजनेताओं पर कोई असर नहीं पड़े परन्तु दोनों देशों के बीच होने वाले व्यापार पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ रहा है। स्कॉच व्हिस्की एसोसिएशन के सीईओ मार्क केंट के अनुसार समझौता होने पर स्कॉटिश डिस्टिलर्स को भारत में व्यापार करने के अधिक मौके मिलते जिसके कारण ब्रिटेन में नई नौकरियां पैदा होती और भारत में पैसा इन्वेस्ट होने के कारण इंडियन इकोनॉमी पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ता।
फिलहाल भारत में स्कॉच व्हिस्की पर 150 फीसदी टैरिफ है, वह भी इस समझौते के बाद काफी हद तक कम हो जाती और बिजनेस को ग्रोथ मिलती।
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आपको बता दें कि वर्ष 2018 में भारत व्हिस्की का 8वां सबसे बड़ा आयातक देश था। वर्ष 2021 में भी भारत में स्कॉच व्हिस्की की 136 मिलियन बोतलें इंपोर्ट की गई थीं जबकि वर्ष 2022 में अभी तक का आंकड़ा 95 मिलियन ही हो पाया है। माना जा रहा था कि समझौता होने के बाद भारत में स्कॉच व्हिस्की का आयात बढ़ जाता और दीवाली के फेस्टिव सीजन और नए वर्ष के अवसर पर ब्रिटिश कंपनियां ज्यादा मुनाफा कमा पातीं।
दोनों देशों के बीच क्यों जरूरी है फ्री ट्रेड एग्रिमेंट (FTA)
आंकड़ों के अनुसार भारत और ब्रिटेन के बीच वर्ष 2021-22 में कुल व्यापार 17 अरब डॉलर का था। दोनों देशों के बीच किए जाने वाले इस समझौते के बाद माना जा रहा था कि इस एग्रीमेंट की मदद से दोनों देशों के बीच वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार दोगुना हो जाएगा। हालांकि ब्रिटेन की गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने इस समझौते का विरोध करते हुए कहा था कि इससे भारतीयों के ब्रिटेन में घुसने का रास्ता खुल जाएगा जो आने वाले समय में देश के लिए अच्छा नहीं होगा।