एग्रीकल्चर शिक्षा में युवा आ रहे हैं, इस क्षेत्र में पढ़ाई करने वाले युवाओं को शत प्रतिशत प्लेसमेंट मिल जाता है। इस क्षेत्र से निकला एक भी युवा यहां बेरोजगार नहीं रहता। उसे रोजगार और अवसर मिलते हैं। लेकिन आज भी गांवों में हालात ये हैं कि किसान के बच्चे किसान नहीं बनना चाहते हैं।
गांवों से बच्चे रोजगार की तलाश में शहर आ रहे हैं और जब कुछ अच्छा काम नहीं मिलता तो छोटे-मोटे काम करके भी शहरी जिंदगी की चमक में खुश रहने की कोशिश करते हैं। जबकि उन्हें ये समझना होगा कि एग्रीकल्चर में ढेरों अवसर हैं।
कुछ अपवाद छोड़ दिए जाएं तो गौरतलब है कि पढ़े-लिखे बच्चे शिक्षा हासिल करने के बाद खेती करना ही नहीं चाहते। यहां तक कि एग्रीकल्चर की डिग्री भी उनकी मानसिकता चेंज करने में मददगार साबित नहीं हो पाती।
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एग्रीकल्चर की पढ़ाई के बाद उन्हें इंसेक्टिसाइड, पेस्टिसाइड, फर्टिलाइजर, मशीनरीज, सीड सर्टिफिकेशन, कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि विभाग और विश्वविद्यालय, सभी जगह नौकरी मिल जाती है, बल्कि ऐसे युवाओं के लिए यहां उनकी संख्या से ज्यादा अवसर मौजूद होते हैं, यही वजह है कि वे खेतों में काम नहीं करते। वे कृषि में नहीं खपना चाहते।
कृषि से दूरी बनाएंगे तो खेती करेगा कौन?
युवा भारत का भविष्य है। वे अपने लिए कुछ भी काम तलाशते हैं लेकिन कृषि में अपने लिए अवसर नहीं।अगर बड़ी संख्या में युवा खेती में नहीं जाना चाहते तो फिर आने वाले समय में खेती करेगा कौन? ये देश के सामने संकट की स्थिति होगी। ये गांव में नहीं शहरों में रहना चाहते हैं। गांव में रहें तो भी खेती से दूर रहकर। तो किसानों की अगली पीढ़ी तैयार कैसे होगी। युवा खेती से दूर रहेंगे तो नए किसान कहां से आएंगे।
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पलायन रोक खेती में रुझान बढ़ाना होगा युवाओं का
देश में ऐसी नीतियों की जरूरत है जो युवाओं को कृषि की तरफ प्रमोट करें। ग्रामीण युवकों को खेती से जोड़े जाने की महती जरूरत है। कई युवा अपनी नौकरियां छोड़कर खेतों में रुख कर रहे हैं लेकिन धरातल पर उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ता है ऐसे में बहुत बड़ी संख्या ऐसे युवाओं की भी है जो किसानी में आए लेकिन वापस लौट भी गए। इस पलायन को रोका जाना चाहिए।
मार्केट तक सीधा लिकं हो, उपज का वेल्यू एडिशन जरूरी
खेती में प्रोडक्शन के साथ फूड प्रोससिंग और वेल्यू एडिशन किए जाने की जरूरत है। वे अपनी उपज की प्रोससिंग करके बाजार तक ले जाएं तो ज्यादा लाभ ले सकते हैं। उन्हें वहीं मार्केट देने की जरूरत है तो खेती लाभकारी बन जाएगी। गांव में ही प्रोससिंग, पैकेजिंग हो और वहीं से मार्केट तक सामान पहुंचे। उपभोक्ता को अधिक पैसा देना पड़ा रहा है लेकिन किसान को वह पैसा मिल नहीं रहा है। बीच में ये पैसा किसी दूसरे को ही मिल रहा है, इसे रोकना होगा।