मंदी की आशंकाओं के बीच कई बड़ी कंपनियों ने हायरिंग पर पूरी तरह रोक लगा दी हैं और पुराने कर्मचारियों की छंटनी करना शुरू कर दिया है। अब भारतीय ऑनलाइन एजुकेशन कंपनी BYJU’S ने भी संकेत दिए हैं कि वह जल्दी ही कर्मचारियों की छंटनी करेगी। बायजूस ने कहा है कि कंपनी अपना खर्चा घटाने और घाटा कम करने के लिए यह कदम उठा रही है।
छंटनी के पीछे BYJU’S ने बताई यह वजह
वर्तमान में बायजूस देश की सबसे बड़ी एजुकेशनल कंपनी है जो ऑनलाइन टीचिंग की सुविधा उपलब्ध कराती है। इसके लिए कंपनी ने एक ऐप बनाया हुआ है, भारत में BYJU’S ऐप के करीब 8 करोड़ यूजर्स हैं। कंपनी ने बताया कि पूरे देश में इस समय उसके लगभग 200 से ज्यादा सेंटर हैं, कंपनी इनकी संख्या को बढ़ाकर 500 करना चाहती है। ऐसे में कंपनी अपने लिए ज्यादा से ज्यादा पैसे की व्यवस्था करना चाहती है जिसके लिए वह हरसंभव प्रयास कर रही है।
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BYJU’S ने बताया कि 31 मार्च 2021 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में कंपनी 4,588 करोड़ रुपए के घाटे में थी, ऐसे में कंपनी अपना खर्च घटाने और घाटा कम करने के लिए छंटनी जैसे कदम उठाने की तैयारी कर रही है। हाल ही में जून माह में भी कंपनी ने पूरे देश में लगभग 2500 कर्मचारियों को कार्यमुक्त कर दिया था। वर्तमान में कंपनी में लगभग 50 हजार कर्मचारी काम कर रहे हैं, इनमें से पांच फीसदी (लगभग 2500) कर्मचारियों की छंटनी करने का लक्ष्य रखा गया है और अगले छह महीनों में इन्हें निकाला जाएगा। कर्मचारियों की छंटनी कंटेंट, मीडिया और टेक्नोलॉजी की टीम में की जाएगी।
BYJU’S में नई भर्तियां भी होंगी
कंपनी ने बताया कि वह भारत में करीब 500 सेंटर खोलना चाहती है, साथ ही वह लैटिन अमरीका में भी अपना काम बढ़ा रही है। ऐसे में नए सेंटर खोलने के लिए कंपनी को स्टाफ भी चाहिए होगा, जिसके लिए जल्दी हायरिंग शुरू की जाएगी। नया स्टाफ भारत और अमरीका से हायर किया जाएगा और उनमें अधिकतर टीचर्स की भर्ती की जाएगी।
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दुनिया भर में हजारों कामगारों की नौकरी छूटी
इस वक्त दुनिया भर में छंटनी का दौर चल रहा है, आईटी और फाइनेंस जगत से जुड़ी दिग्गज कंपनियों ने अपने यहां स्टाफ में कटौती की है। माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, एप्पल, आईबीएम सहित अनेकों कंपनियों ने अपने यहां काम कर रहे स्टाफ को हटा दिया है या हटाने के प्रोसेस पर काम कर रही है। माना जा रहा है कि कंपनियां मंदी की आशंका को देखते हुए अभी से तैयार हो गई है और अपने खर्चों को कम करने के लिए कंपनियों को यह कदम उठाना पड़ रहा है।