Agnipath Scheme : अग्निपथ योजना के लिए आवेदन कर्ताओं से उनकी जाति-धर्म का ब्यौरा मांगने पर विपक्ष ने बड़ा बवाल खड़ा कर दिया है। विपक्ष ने केंद्र को कटघरे में खड़ा कर पूछा है कि क्या वे देश के युवाओं को अग्निवीर बना रहे हैं या धर्मवीर? वहीं सेना ने अब इस बात का खुलासा किया है कि क्या आवेदन कर्ताओं से उनकी जाति-धर्म की जानकारी ली जा रही है, औऱ अगर ली जा रही है तो क्यों?
भारतीय सेना ने इस मामले में जानकारी देते हुए बताया है कि यह कोई नया काम नहीं है, ऐसा देश की आजादी के बाद से चला आ रहा है। आवेदन कर्ताओं से इसका प्रमाण पत्र इसलिए मांगा जाता है ताकि इसके आधार पर उन्हें वर्गीकृत बटालियन में जगह दी जा सके। इसके अलावा तैनाती और प्रशिक्षण के दौरान शहीद होने वाले सैनिकों का अंतिम संस्कार कराने के लिए उनके धर्म का पता होना जरूरी है। जिससे यह संस्कार उनके धर्म के अनुसार ही हो।
वहीं थल सेना ने अपनी वेबसाइट पर ऑल इंडिया ऑल क्लास के आधार पर अग्निवीरों का तैनाती के बारे में लिखा था। इसका मतलब यह है कि सैनिकों को किसी भी रेजिमेंट और यूनिट में तैनात किया जा सकता है। जिसके लिए उन्होंने साफ-साफ दिशा-निर्देश जारी किए थे। इससे पहले सेना की इनफेंट्री रेजीमेंट में धर्म और जाति, क्षेत्र के आधार पर तैनाती होती आई है।
क्या है इनफेंट्री रेजिमेंट ?
भारत में अंग्रेजों के समय से ही सेना में इनफेंट्री रेजिमेंट का चलन है। यानि जैसे सिख रेजीमेंट, जाट रेजिमेंट, राजपूत, गोरखा, नागा, बिहार, कुमाऊं, गढ़वाल, राजपूताना-रायफल्स जाति, धर्म और क्षेत्र के आधार पर की जाती है। इन्हें इनफेंट्री रेजिमेंट कहते हैं।
अग्निपथ में किस आधार पर हो रही हैं भर्तियां?
अग्निपथ योजना के तहत जो भर्तियां हो रही हैं उनमें से 75 प्रतिशत ऑल इंडिया ऑल क्लास के आधार पर होंगी। बाकि 25 प्रतिशत भर्तियां भी अब ऑल इंडिया ऑल क्लास के आधार पर होंगी। ये बात उसी समय साफ कर दी गई थी, जब अग्निपथ योजना का लॉन्चिंग हो रही थी औऱ उस वक्त थलसेना अध्यक्ष मनोज पांडे से यह सवाल किया गया था।
‘सेना भर्ती में नहीं किया गया है कोई बदलाव’
आवेदनकर्ताओं से जाति और धर्म का प्रमाणपत्र मांगने के सवाल पर देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्ष को जवाब दिया है। उन्होंने कहा है कि भर्ती के लिए जो व्यवस्था पहले थी वही चली आ रही है। कोई बदलाव नहीं किया गया है। पुरानी व्यवस्था को ही जारी किया जा रहा है।