Phone Tapping Case : जयपुर। प्रदेश में कांग्रेस के सचिन पायलट खेमे की बगावत के बाद गहलोत सरकार गिराने के षड्यंत्र के आरोपों और फोन टैपिंग के चल रह मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने निचली अदालत की न्यायिक प्रक्रिया पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार को नोटिस जारी किए हैं। इस मामले में प्रथमदृष्टया कोर्ट ने माना है कि ऑडियो टैप का कोई आधार नहीं है।
हाईकोर्ट ने इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार को नोटिस देकर अपना पक्ष रखने को कहा है। इस मामले में कोर्ट को वॉइस रिकॉर्डिंग का आधार नहीं दिखा, क्योंकि अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह ने वॉइस टैपिंग की अनुमति देने से इंकार किया था। प्रथमदृष्टया कोर्ट ने माना कि ऑडियो टैप का कोई आधार नहीं है। इस प्रकरण में केन्द्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ सरकार की याचिका को कोर्ट पहले भी खारिज कर चुकी है। पूरे मामले की हाईकोर्ट में पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक बाजवा ने की है।
केन्द्रीय मंत्री शेखावत सहित तीन पर दर्ज हुई थी एफआईआर
तीन साल पहले तीन ऑडियो क्लिप वायरल हुई थीं, जिसमें विधायकों की खरीद-फरोख्त का दावा करते हुए सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी ने एसओजी में केस दर्ज करवाए थे। एफआईआर में दावा किया गया था कि वायरल ऑडिया में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा के बीच बातचीत है, जिसमें वे विधायकों खरीद-फरोख्त की बातें कर रहे थे। महेश जोशी की एफआईआर के आधार पर संजय जैन, विधायक भंवरलाल शर्मा और गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। संजय जैन और कुछ अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया था। उस वक्त बाड़ेबंदी के दौरान एसीबी और एसओजी की टीम गजेंद्र सिंह और भंवरलाल शर्मा के बयान और सैंपल लेने मानेसर और दिल्ली गई थी। बाद में एसओजी ने मामले में एफआार लगा दी, लेकिन एसीबी में जांच जारी है।
वॉयस सैम्पल देने को तैयार थे गजेंद्र सिंह
कांग्रेस नेता केन्द्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह पर वॉयस सैम्पल नहीं देने को लेकर लगातार निशाना साधते रहे हैं, जबकि गजेंद्र सिंह शेखावत कह चुके थे कि वे मांगे जाने पर वॉयस सैम्पल देने को तैयार हैं।
फोन टैपिंग के आरोपों की दिल्ली क्राइम ब्रांच कर रही जांच
केन्द्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने वायरल ऑडियो को आधार बनाकर राजस्थान सरकार पर फोन टैपिंग का आरोप लगाते हुए दिल्ली पुलिस में मामला दर्ज करवाया था। गजेंद्र सिंह की एफआईआर पर दिल्ली क्राइम ब्रांच मामले की जांच कर रही है। इस मामले में मुख्यमंत्री के ओएसडी लोकेश शर्मा समेत पुलिस अफसरों को आरोपी बनाया गया है।
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