जोधपुर: राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले में सड़कों पर लगे पोस्टर गुरुवार को दिनभर चर्चा का विषय बने हुए हैं जिसमें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और सचिन पायलट का फोटो लगा है और संजीवनी घोटाले पर पायलट की चुप्पी पर सवाल उठाए गए हैं. जानकारी के मुताबिक जोधपुर में रातानाडा चौराहे और सर्किट हाउस के पास लगे पोस्टर में लिखा है कि सचिन पायलट संजीवनी घोटाले पर चुप क्यों है? पायलट जी, जनता जवाब मांगती है. वहीं पोस्टर में नीचे तीन स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं के फोटो लगे हैं जिनमें कुश गहलोत, डॉ भाकरराम बिश्नोई और ललित कुमार का नाम शामिल है.
मालूम हो कि संजीवनी घोटाले पर सचिन पायलट ने अभी तक खुलकर शेखावत को नहीं घेरा है. वहीं दूसरी ओर सीएम अशोक गहलोत लगातार संजीवनी पर शेखावत पर हमलावर है और गहलोत के आरोपों के बाद शेखावत ने सीएम के खिलाफ एक मानहानि का केस भी दायर कर रखा है. वहीं अब जोधपुर में पोस्टर लगने के बाद यह सवाल चर्चा में आ गया है कि आखिर सचिन पायलट ने संजीवनी घोटाले पर क्यों चुप्पी साध रखी है.
भ्रष्टाचार पर मुखर…करोड़ों के घोटाले पर चुप?
मालूम हो कि राजस्थान में पायलट करप्शन के मामले पर लगातार गहलोत को घेर रहे हैं जहां उन्होंने 11 अप्रैल को सरकार के खिलाफ जयपुर में अनशन किया था वहीं इसके बाद पायलट ने हाल में 11 मई से 5 दिनों की एक जन संघर्ष य़ात्रा भी निकाली थी. इस दौरान पायलट ने लगातार गहलोत सरकार को राजे सरकार के करप्शन के मामलों में एक्शन नहीं लेने पर घेरा था.
इधर अब पायलट को घेरते हुए जोधपुर में पोस्टर लगाकर पूछा गया है कि पायलट ने संजीवनी घोटाले पर अभी तक कुछ नहीं बोला है और वह गजेंद्र सिंह शेखावत पर एक भी सवाल नहीं खड़ा कर रहे हैं. हालांकि हाल में एक इंटरव्यू में सचिन पायलट ने संजीवनी घोटाले पर पूछे गए एक सवाल पर कहा था कि हमने चुनावों से पहले जनता से कुछ वादे किए थे, उन्हें हम पूरा नहीं कर पाए जिनको लेकर मेरा विरोध चल रहा है. पायलट ने कहा कि हम 2018 में सरकार में संजीवनी घोटाले के मुद्दे पर नहीं आए थे.
चुप्पी को लेकर अब सिय़ासी गहमागहमी
गौरतलब है कि संजीवनी घोटाले पर पाय़लट की चुप्पी लेकिन पेपर लीक और करप्शन पर मोर्चाबंदी कई सवाल खड़े कर रही है. जानकारों का इस पर कहना है कि पायलट के मुद्दे अब सीधे तौर पर आलाकमान पर दबाव बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा है, क्योंकि पायलट भी जानते हैं कि चुनावों से 5 महीने पहले अब सीएम बदलने का फैसला ठंडे बस्ते में चला गया है ऐसे में पायलट आलाकमान पर दबाव बनाने के लिए सीएम गहलोत के सहारे घेराबंदी कर रहे हैं.
इसके अलावा पायलट की संजीवनी घोटाले पर चुप्पी को इस तौर पर भी देखा जा सकता है कि पायलट किसी भी बड़े फैसले पर जाने से पहले जैसा कि कयास लगाए जा रहे हैं, वह अपने कार्यकर्ताओं को चार्ज रखना चाहते हैं ऐसे में पेपर लीक और करप्शन, आरपीएससी को बंद करने जैसी मांग भावनात्मक तौर पर युवाओं को संगठित बनाए रखती है और पायलट के साथ उनके समर्थकों के अलावा युवा भीड़ बनी रहती है.
शेखावत ने लगाई थी पायलट की तारीफों की झड़ी
मालूम हो कि बीते दिनों पायलट की जन संघर्ष यात्रा के दौरान केंद्रीय मंत्री शेखावत ने उनकी जमकर तारीफ करते हुए कहा था कि पायलट ने लगातार 5 साल मेहनत कर राजस्थान में फिर से कांग्रेस की सत्ता में वापसी करवाई. शेखावत ने कहा था कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में तो कांग्रेस सिर्फ 21 सीटों पर सिमट गई थी और इसके बाद पायलट ने ही गांव-गांव जाकर कांग्रेस को फिर से जिंदा किया था.