Rajasthan Election : प्रदेश में विधानसभा चुनाव में भले ही 1 साल की समय बाकी है। लेकिन दोनों मुख्य पार्टियों का केंद्रीय नेतृत्व करने वाले शीर्ष नेताओं के राजस्थान में दौरे शुरू हो गए हैं। भले ही ये दौरे किसी बैठक या कार्यक्रम के लिए हो लेकिन इनकी आड़ में ये चुनावी माहौल तो तैयार करके जाते ही हैं साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र देकर जाते हैं। आने वाले नवंबर और दिसंबर में दोनों पार्टियों के नेता प्रदेश के दौरे पर होंगे। राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा को लेकर राजस्थान में 20 दिन रुकेंगे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक नवंबर को राजस्थान आएंगे। यहां वे बांसवाड़ा के मानगढ़ में शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे।
भारत जोड़ो यात्रा से राजस्थान में कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन
वहीं राहुल गांधी की बात करें तो भारत जोड़ो यात्रा के साथ वे 7 दिसंबर को राजस्थान आएंगे। 7 दिसंबर को झालावाड़ के भवानीमंडी से यह यात्रा शुरू होगी। और कोटा, बूंदी, टोंक, दौसा होते हुए अलवर से गुजारी जाएगी। इस दौरान राहुल गांधी लगभग 20 दिनों तक राजस्थान में रहेंगे। जानकारी के मुताबिक पूरे राजस्थान में राहुल गांधी कुल 500 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे। हालांकि यह राहुल गांधी की पहले से ही चल रही एक पदयात्रा है लेकिन इसे राजस्थान में सत्ता का शक्ति प्रदर्शन कहें तो गलत नहीं होगा। क्यों कि एक तरह से कांग्रेस के लिए यह जरूरी भी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बनाए गए माहौल को भी वे चकनाचूर करें।
8 जिलों के 25 आदिवासी सीटों पर भाजपा की नजर
बीते 30 सितंबर को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ देर के लिए सिरोही पहुंचे थे। यहां आकर उन्होंने अपने अंदाज से सिरोही का ही नहीं पूरे देश में चर्चा हो गई थी। रात 10 बजे के बाद माइक में बोलने के लिए मना करना तीन बार जनता को दंडवत प्रणाम करने और जल्द ही फिर से आने का वादा कर उन्होंने जनता से जुड़े रहने की कोशिश की। अब आगामी बांसवाड़ा दौरे में वे जनता को कई योजनाओं की सौगात को देंगे ही साथ ही एक साथ तीन राज्यों की आदिवासी जनता को साधने की कोशिश करेंगे। प्रदेश के 8 जिलों में 25 आदिवासी सीटें हैं इन जिलों में बांसवड़ा भी आता है अभी इन सीटों में 13 कांग्रेस के पास है और 8 भाजपा के पास है। भाजपा इस अंतर को कम करने की जुगत में है। क्यों कि इन 8 जिलों में आदिवासी जनसंख्या का आंकड़ा कुल जनसंख्या का 70.42 प्रतिशत है। इसलिए यह वर्ग दोनों ही पार्टियों कांग्रेस और भाजपा के लिए बेहद जरूरी है।
कांग्रेस के खिलाफ सुस्त पड़ी है प्रदेश भाजपा
राजस्थान में इस समय कांग्रेस की सरकार है। जाहिर सी बात है अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस दोबारा अपनी पार्टी को सत्ता में रिपीट करना चाहती है और इसके लिए पूरा दमखम लगा भी रही है। भाजपा को सत्ता में आने के लिए कांग्रेस से ज्यादा जोर लगाना है। क्योंकि अगर मौजूदा स्थिति को देखें तो भाजपा अभी तक कांग्रेस के खिलाफ कोई लहर नहीं चला पाई। यहां तक कि इसके लिए उसे जो मौके मिले वो भी उसने गंवाया ही है। राजस्थान में विधायकों का विधानमसभा अध्यक्ष को इस्तीफा देने के मामले से राजस्थान की सियासत में भूचाल आ गया था। इस दौरान अध्यक्ष के चुनाव से ज्यादा राजस्थान की सरकार और सीएम कांग्रेस की पहली प्राथमिकता बन गया था। इस मौके पर भाजपा कांग्रेस के खिलाफ हल्ला बोल सकती थी और आक्रामक तेवर अपना सकती थी लेकिन इससे ज्यादा उसने वेट एंड वॉच के हालात में रहने का फैसला किय़ा।
राहुल गांधी के दौरे से प्रदेश कांग्रेस को फायदा
अब भाजपा की रणनीति चाहे जो भी रही हो लेकिन इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी जादू कीछड़ी से सारी बिखरी बातों को समेट लिया और सरकार को स्थिर कर लिया। फिर भी जिस तरह से कांग्रेस आलाकमान का प्रदेश सरकार के लिए जो रूख है उससे भविष्य में ‘कुछ’ होने की अटकलें लगाई जा रही हैं। जाहिर है इस डैमेज को कंट्रोल करने के लिए राहुल गांधी प्रदेश कांग्रेस के नेताओं से मिलकर ही उनसे बात करेंगे और इसका हल निकालेंगे। इस कदम के राहुल गांधी के एक पंथ दो काज हो जाएंगे, राजस्थान के सीएम मामले में वे तफ्तीश से नेताओं से बातचीत करेंगे और राजस्थान में एक तरह से अपना शक्ति प्रदर्शन भी करेंगे।
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