Rajasthan Assembly Election 2023 : अगले साल लगभग इसी महीने राजस्थान विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका होगा। सभी राजनीतिक दल ताबड़तोड़ दौरों पर होंगे और अपेन वोटबैंक को साधने की जुगत में होंगे। ऐसे में जनता का समर्थन प्राप्त करने के लिए भारी-भरकम और लोक-लुभावने वादे न हो ये तो मुमकिन नहीं। इन्हीं वादों का सहारा लेकर प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा को टक्कर देने के लिए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने राजस्थान की सभी 200 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान तो किया है साथ उन्होंने राजस्थान में तीसरा विकल्प उभरने का भी दावा किया है औऱ यह तीसरा विकल्प खुद को ही बता रहे हैं। अब आम आदमी पार्टी अपने इन वादों पर कितना खरे-उतरते हैं इसका सियासी गणित समझते हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव में जमानत तक नहीं बचा पाए प्रत्याशी
सबसे पहले बात पिछले विधानसभा चुनावों की करते हैं। विधानसभा चुनाव 2018 में आम आदमी पार्टी ने विधानसभा की 180 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन उनमें से एक भी उम्मीदवार नहीं जीता था। यहां तक कि इनमें से कई लोग तो अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए। पिछली बार पार्टी के समस्या थी कि उसने कोई मजबूत चेहरा नहीं उतारा था जिसके दम पर इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस से टक्कर ले सके।
दूसरी सबसे बड़ी समस्या है कि आम आदमी पार्टी का विस्तार अभी इतना नहीं हुआ है न ही वह इतनी मजबूत है कि इतने बड़े प्रदेश में सालों से बनी परिपाटी को तोड़ सकते हैं, पंजाब इसमें अपवाद हो सकता है लेकिन अगर गौर करें तो चुनाव के दौरान पंजाब के राजनीतिक समीकरण अलग थे औऱ राजस्थान के अलग।
पंजाब में ये थी आप की मजबूत रणनीति
1-पंजाब में आम आदमी पार्टी ने भगवंत मान तो सीएम फेस बनाकर सबसे मजबूत दांव चला था, भगवंत मान दिल्ली की राजनीति से उठे और पंजाब में सीएम बने। भगवंत मान ने कॉमेडियन बनकर लोगों के दिलों पर राज किया तभी से वे काफी फेमस हो गए थे। इसलिए ऐसे मजबूत चेहरे को सीएम बनाने का दांव सफल रहा।
2- पंजाब के विधानसभा चुनाव 2017 से ही आप ने वहां चुनावी जमीन तैयार करनी शुरू कर दी थी। इसके बाद पूरे 5 साल इस जमीन को उसने खाद-पानी से सींचा और रिजल्ट सबके सामने पंजाब में आप की प्रचंड जीत के रूप में आया।
3-कांग्रेस की टूट भी पंजाब में आप के लिए वरदान साबित हुई इसे नकारा नहीं सकता। कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू से पंजाब के पूर्वमुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के तल्खी जब बढ़ती चली गई तो कांग्रेस ने सिद्धू को ‘खुश’ करने के लिए पंजाब का सीएम ही बदल दिया। पंजाब की जनता ने इसे अपने जनादेश का अपमान समझा, नतीजा पंजाब के लोगों ने इस बार आम आदमी पार्टी पर विश्वास जताया।
4- इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि पंजाब की जनता दिल्ली मॉडल और केजरीवाल के फ्री के वादों से प्रभावित हुई है।
राजस्थान में उलट हैं हालात
राजस्थान की राजनीति पंजाब से बेहद अलहदा है। हालांकि राजस्थान में हाल ही में गड़बड़ाए समीकरणों को लेकर अब यह भी चर्चा होने लग गई है कि कहीं राजस्थान का हाल पंजाब जैसा न हो जाए। ये बात भी इस परिप्रेक्ष्य में कही जा रही है कि कहीं राजस्थान में मौजूदा सरकार गिरने की नौबत आती है तो इसका फायदा भाजपा उठा सकती है और यह सर्वविदित है कि अगर ऐसे माहौल में चुनाव हुए तो भी आम आदमी पार्टी कहीं से भी इन दोनों पार्टियों को टक्कर नहीं दे पाएगी। इसलिए अगर आप को 200 विधानसभा सीटों पर अपने उतारने हैं औऱ तीसरा विकल्प बनना है तो इन कारणों पर ध्यान देकर उसे कुछ मजबूत कदम उठाने होंगे ताकि पिछले विधानसभा चुनाव के जैसे दोबारा उसे मुंह की न खानी पड़े।