निज़ाम कण्टालिया, जयपुर: अदालत के आदेश या फिर फैसले के बारे में तो आप जानते होंगे…लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट ने एक याचिका में परमादेश जारी किया है.और इसे विस्तृत बनाते हुए सामान्य परमादेश के रूप में जारी किया है..यूं तो हाईकोर्ट में दायर होने वाली प्रत्येक मेंडामस याचिका का आदेश ही परमादेश होता है लेकिन हाईकोर्ट ने एक विशेष मामले में राज्य सरकार को सामान्य परमादेश जारी किया है. यहां सामान्य से मतलब आम नही होंकर खास आदेश से है…
टेण्डर प्रकिया के लिए
राजस्थान हाईकोर्ट के जज जस्टिस अनुप कुमार ढंड ने याचिकाकर्ता एम एस कंसट्रक्शन की ओर से दायर एक याचिका में सामान्य परमादेश जारी किया है.. टेण्डर प्रक्रिया से जुड़ी याचिका के अपने आदेश में हाईकोर्ट ने विशेष तौर से इस शब्द का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार को परमादेश दिए है..जिसके तहत प्रदेश में होने वाली प्रत्येक टेण्डर प्रक्रिया के लिए प्रथम और द्वितीय अपील अधिकारी का विवरण किसी टेण्डर की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही जारी करना आवश्यक हैं..
अनुच्छेद 32 देता है अधिकार
संविधान का अनुच्छेद 32 और 226 देश के सुप्रीम कोर्ट और सभी हाईकोर्ट को उन मामलों में परमादेश जारी करने का अधिकार हैं जिनमें राज्य किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है.. परमादेश हाईकोर्ट द्वारा अपने एक अधिनस्थ कोर्ट, सरकारी निकाय या एक अधिकारी को बाध्य करने के लिए जारी करता हैं. लेकिन जब हाईकोर्ट सामान्य परमादेश जारी करता है तो वह संपूर्ण क्षेत्र, राज्य या देश के लिए सरकार को बाध्य करता हैं..
प्रक्रिया के साथ जारी करना होगा विवरण
राजस्थान हाईकोर्ट ने एम एस कंसक्ट्रंशन के मामले में केवल परमादेश नहीं बल्कि सामान्य परमादेश जारी किया है. इस आदेश के तहत राजस्थान सरकार को बाध्य किया गया है कि राजस्थान में किसी भी टेण्डर प्रक्रिया जारी करने के साथ ही प्रथम और द्वितीय अपीलिय अधिकारी का संपूर्ण विवरण भी जारी करना होगा..जिससे उस टेण्डर प्रक्रिया में किसी भी आदेश या प्रक्रिया से पीड़ित व्यक्ति या संस्था आगे अपील कर सके.
सरकार करेगी पालना
राजस्थान हाईकोर्ट के इस सामान्य परमादेश के बाद अब राजस्थान सरकार को एक अधिसूचना के जरिए सभी विभागों को ये आदेश देना होगा कि किसी भी टेण्डर प्रक्रिया को जारी करने के साथ ही प्रथम और द्वितीय अपील अधिकारी का विवरण भी देना होगा