जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने करीब 20 साल पहले की नाबालिग रेप पीड़िताओं को लेकर बड़ा फैसला सुनाया। उन्होंने मनु स्मृति के एक श्लोक से रेप के बाद नाबालिग बच्चियों को पीड़ित प्रतिकर स्कीम 2011 के तहत उचित मुआवजा नहीं मिलने के मामले में दिए गए अपने फैसले की शुरुआत की।
जस्टिस अनूप कुमार मनु स्मृति के एक श्लोक से सुनाया फैसला…
“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रिया” अर्थात-“जहां स्त्रियों की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं और जहां स्त्रियों की पूजा नहीं होती, उनका सम्मान नही होता, वहां किए गए समस्त अच्छे कर्म भी निष्फल हो जाते हैं।”
दरअसल, जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने करीब 20 साल पुराने मामलें में फैसला देते हुए कहा कि 2009 में सीआरपीसी की धारा-357 के संशोधन से पहले की सभी नाबालिग दुष्कर्म पीडिताएं 3 लाख रुपए का मुआवजा पाने की हकदार हैं। हालांकि हाई कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि यह फैसला सिर्फ उन मामलों में ही लागू होगा, जिनमें संशोधन से पहले मुआवजे के लिए प्रार्थना पत्र पेश कर दिया गया हो और मामला लंबित चल रहा हो।
नारी के साथ बलात्कार सबसे बड़ा टॉर्चर…
जस्टिस अनूप कुमार ढ़ंड ने अपना फैसला सुनाते हुए लिखा-नारी के साथ बलात्कार उसके लिए सबसे बड़ा टॉर्चर हैं। रेप केवल शारीरिक अत्याचार नहीं है। यह पीड़िता की मानिसक, मनौवैज्ञानिक और भावनात्मक संवेदनशीलता पर भी विपरीत असर डालता हैं। इसलिए रेप को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया हैं। यह महिला के मूलभूत अधिकारों का उल्लंखन करता हैं। इसलिए अदालतों को आवश्यकता है कि इस तरह के मामलों को गंभीर संवेदनशीलता और अत्यधिक जिम्मेदारी के साथ लें।
क्या था पूरा मामला…
दरअसल, याचिकाकर्ता की अधिवक्ता नैना सराफ ने अदालत में बताया कि 2006 में नाबालिग रेप पीड़िता की ओर से हाई कोर्ट में याचिका पेश करके कहा गया था कि उसकी 2 साल की बेटी के साथ 19 जुलाई, 2004 को रेप हुआ था। सोडाला पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर चालान पेश किया। जिसके बाद फास्ट ट्रैक कोर्ट ने करीब एक साल बाद 31 मई 2005 को अभियुक्त को 10 साल की जेल व 500 रुपए का जुर्माना लगाया, लेकिन मुआवजे देने के कोई आदेश नहीं दिए। पिता ने कलेक्टर के समक्ष अर्जी पेश कर 3 लाख रुपए का मुआवजा मांगा था, लेकिन इसके बाद भी मुआवजा नहीं मिला। केवल मुख्यमंत्री राहत कोष से 10 हजार रुपए दिए गए। याचिका के लंबित रहने के दौरान सीआरपीसी में संशोधन हुआ और पीडित प्रतिकर स्कीम-2011 लागू हुई। जिसमें 3 लाख रुपए देने का प्रावधान किया गया। लेकिन उसके बाद भी मुआवजा नहीं दिया गया।
जानिए क्या है पीड़ित प्रतिकर स्कीम 2011…
दरअसल, साल 2009 से पहले नाबालिग से रेप के मामले में अगर कोर्ट मुआवजा देने के आदेश देती थी। तभी पीड़िता मुआवजे के लिए आवेदन कर सकती थी, लेकिन 31 दिसंबर 2009 को सीआरपीसी की धारा 357 में संशोधन किया गया। जिसमें कहा गया कि नाबालिग रेप पीड़िता को मुआवजा देने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी। इसके बाद सभी प्रदेशों में इसे लेकर स्कीम बनाई गई। राजस्थान में राजस्थान पीड़ित प्रतिकर स्कीम 2011 लागू हुई। जिसमें नाबालिग रेप पीड़िताओं को 3 लाख रुपए का मुआवजा देने का प्रावधान रखा गया, लेकिन इस स्कीम के तहत 2009 के बाद हुई घटनाओं में ही मुआवजा दिया जा रहा था।