जयपुर। राजस्थान राज्य अपने शाही सत्कार, सुंदर और भव्य महलों, अपनी संस्कृति के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। राजस्थान जितना अपने किले, सूंदर महलों व शाही भवनों के लिए मशहूर है, उतना ही ये अपनी कुछ प्रताओं के लिए जाना जाता है। यहां प्रचलित आज भी कुछ अनोखी प्रथाएं लोगों को आश्चर्य में डाल देती हैं। इन्ही प्रथाओं में एक है राजस्थान की नातरा प्रथा। राजस्थान की कुछ जातियों में प्रचलित नाता प्रथा के अनुसार विवाहित महिला अपने पति को छोड़कर किसी अन्य पुरुष के साथ रह सकती है।
दरअसल, नातरा प्रथा का जिक्र हम इसलिए कर रहे क्योंकि हाल ही में बांसवाड़ा में एक युवक ने दो लड़कियों से शादी की है। जिसके चलते यह प्रथा एक बार फिर चर्चाओं में है। बता दें कि यह प्रथा ज्यादातर राजस्थान में रह रहे गुर्जर समाज के लोगों में प्रचलित है। इसमें व्यवस्था है कि कोई विवाहित महिला अपने पति को छोड़कर किसी अन्य पुरुष के साथ या कोई विवाहित पुरुष किसी अन्य विवाहित महिला के साथ पति पत्नी के रूप में रह सकते हैं। राजस्थान में इसे नातरा विवाह का नाम दिया गया है।
क्या है नातरा प्रथा…
‘नातरा’ शब्द हम सभी ने कभी न कभी जरूर सुना होगा, लेकिन बहुत कम लोग इसके बारे में जानते हैं। नातरा क्या होता है, ये क्या प्रथा है आदि। आज हम आपको इसके बारे में बता रहे हैं। दरअसल, नातरा प्रथा राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में काफी पुरानी है। इस प्रथा में बिना शादी के ही जोड़े साथ रहते हैं और पति पत्नी की तरह जीवन यापन करते हैं। कई जोड़े तो बुजुर्ग होने पर शादी करते हैं। नातरा प्रथा में लड़का-लड़की अपने माता-पिता से बिना इजाजत के शादी कर लेते हैं। कई बार पैसों का भी लेनदेन होता है। वैसे अब नातरा प्रथा को समाप्त करने का प्रयास किए जा रहे है। शिक्षा के साथ-साथ इस प्रथा का चलन धीरे-धीरे खत्म हो रहा है।
यहां सबसे ज्यादा प्रचलित…
नातरा प्रथा राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में ज्यादा प्रचलित है। नातरा प्रथा आदिवासी क्षेत्रों में प्रचलित है। राजस्थान में यह प्रथा बांसवाड़ा, डूंगरपुर, झालावाड़, उदयपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी चल रही है। इन क्षेत्रों में अधिकतर आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं। यहां रहने वाले कई जाति समाज के लोग इस परंपरा को मानते हैं, जबकि अन्य समाज के लोग इसे ठीक नहीं मानते। राजस्थान में नातरा प्रथा विवाह को लेकर ऐसा प्रचलन में है, जिसमें बंधने के लिए न तो सात फेरों की जरूरत होती है और न ही इसमें तलाक की नौबत आती है। यहां तक कि कोई विवाहित स्त्री या पुरूष भी चाहे तो अपने पति या पत्नी को छोड़ कर किसी और के साथ वैवाहिक जीवन जी सकते हैं। हालांकि इसके लिए कुछ शर्तों को पूरा करना होता है और इन शर्तों का निर्धारण गांव के पंच करते हैं। यह नए जमाने की लिव-इन प्रथा की तरह ही है।
किन लोगों का होता है नातरा…
जब किसी स्त्री का पति मर जाए या छोड़ जाए तो परिवार के लोग उस स्त्री को दूसरे व्यक्ति के साथ घर बसाने की इजाजत दे देते हैं, इसे ही नातरा कहते हैं। इसमें सबकी रजामंदी शामिल होती है। वैसे तो यह प्रथा विधवा, विधुर या परित्यक्त महिलाओं के लिए शुरू किया गया था, लेकिन धीरे धीरे इसका प्रचलन काफी बढ़ गया। अब तो इस प्रथा को ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा राजस्थान के कस्बों व शहरों में अपनाया जाने लगा है।
विवाह नहीं होता…
नातरा में सब कुछ मौखिक रूप से तय होता है यानी विवाह नहीं होता और न ही 7 फेरे होते हैं। समाज के लोग उन्हें पति-पत्नी का दर्जा देते हैं और इस तरह उनका वैवाहिक जीवन शुरू हो जाता है।
पूजा में बैठने का अधिकार नहीं…
नातरा करके लाई गई स्त्री को पत्नी के सभी अधिकार मिलते हैं लेकिन परिवार में की जाने वाली पूजा में बैठने का अधिकार उसे नहीं मिलता। ये हक सिर्फ ब्याहता स्त्री के पास ही होता है।
बच्चों को कहते हैं बाकड़ा…
नातरा प्रथा से पैदा हुए बच्चों को ‘बाकड़ा’ कहते हैं। इन बच्चों को पिता के पूरे अधिकार मिलते हैं और परिवार की पूजा में भी शामिल हो सकते हैं।