Rajasthan Election 2023: जयपुर। प्रदेश में मतदान के बाद आपके पास ऐसे ऑटोमेटेड कॉल्स जरूर आए होंगे जिनमें आपसे पूछा गया हो कि आपने चुनाव में किस पार्टी को वोट दिया है। पार्टी के साथ किस कैंडीडेट को आपने वोट किया ये भी आपसे पूछा गया होगा। कई लोग सोचते हैं कि ये कॉल्स पार्टियों की ओर से करवाए जा रहे हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं है। ऐसे कॉल्स करवाकर किस पार्टी के पक्ष में ज्यादा मतदान हुआ है, ये डाटा जुटाने का काम करती हैं एग्जिट पॉल एजेंसियां।
तेलंगाना में गुरुवार को होने वाले मतदान के बाद गुरुवार शाम से इन एजेंसियों के एग्जिट पोल आपको देखने को मिलेंगे जिनमें हर राज्य में मतदान के रुझान के आधार पर संभावित सरकार का अनुमान बताया जाएगा। एग्जिट पोल्स का इंतजार आम मतदाताओं के साथ ही राजनीतिक दलों व नेताओं को भी रहता है क्योंकि ये एक प्रकार से रिजल्ट की फिल्म के ट्रेलर का काम करते हैं। हालांकि कई बार एग्जिट पोल्स गलत भी साबित हुए हैं और अनुमानों से उलट सरकारें बनी हैं लेकिन रिजल्ट का एक बेसिक आइडिया इनसे मिल जाता है जिसके चलते एग्जिट पोल्स का क्रेज रहता है।
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ऐसे अलग होते हैं एग्जिट पोल व ओपिनियन पोल
एग्जिट पोल व ओपिनियन पोल में बड़ा फर्क ये है कह ओपिनियन पोल चुनाव से पहले और एग्जिट पोल चुनाव के बाद आते हैं। ओपिनियन पोल में वोटर्स की राय वोटिंग से पहले जानी जाती है और उसी आधार पर सर्वे तैयार किया जाता है। इसमें वे लोग भी शामिल होते हैं जो हो सकता है कि मतदान के दिन वोट डालें ही नहीं। इसलिए इनकी सटीकता अधिक संदिग्ध रहती है। एग्जिट पोल के लिए सर्वे के सवाल चुनाव वाले दिन ही सिर्फ वोट डालकर आए लोगों से पूछे जाते हैं। इसके साथ ही आमतौर पर नजर आने वाला माहौल, धड़ेबंदी, राजनीतिक हवा, चुनावी चेहरे आदि फैक्टर भी इसमें शामिल होते हैं।
राजनीतिक दल भी बनाएंगे रणनीति
एग्जिट पोल का इंतजार राजनीतिक दलों को भी है। एग्जिट पोल के रुझानों के आधार पर राजनीतिक दल आगामी रणनीति बनाएंगे। मतगणना में वास्तविक परिणाम आने से पहले ही सीटों की संभावित संख्या के आधार पर राजनीतिक दलों की अंदरूनी उठापटक शुरू होगी। राजस्थान में जिस प्रकार अभी दोनों ही पार्टियों में कांटे की टक्कर बताई जा रही है, अगर एग्जिट पोल में भी दोनों पार्टियों की सीटों में ज्यादा अंतर नहीं रहा तो समर्थन के लिए निर्दलीयों व छोटी पार्टियों के जिताऊ उम्मीदवारों से पार्टियों के संपर्क करने में तेजी आएगी। कई कांग्रेस नेता तो रणनीति बनाने के लिए दिल्ली रवाना भी हो चुके हैं। यही हाल भाजपा में भी है। भाजपा नेता भी निर्दलीय व दूसरे दलों के प्रत्याशियों से लगातार संपर्क में हैं, एग्जिट पेाल आने के बाद इस काम को और तेजी दी जाएगी।
पिछले चुनाव में सरकार का अनुमान सही, सीटों का रहा गलत
राजस्थान के पिछले विधानसभा चुनावों में लगभग सभी एजेंसियों ने भाजपा सरकार जाने व कांग्रेस की सरकार बनने का अनुमान जताया था। एग्जिट पोल्स में राजस्थान में एंटी इन्कं बेंसी साफ दिख रही थी। सभी एजेंसियों ने कांग्रेस को भाजपा से अिधक सीटें मिलने की संभावना जताई थी। कांग्रेस को 91 से 137 व भाजपा को 60 से 93 तक सीटें मिलने के अनुमान लगाए गए थे। अन्य को 2 से 15 सीटें मिलने के अनुमान थे। हालांकि परिणाम आए तो कांग्रेस को 99 व भाजपा को 72 सीटें मिलीं और कांग्रेस ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में सरकार बनाई थी।
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कौन करवाता है एग्जिट पोल
एग्जिट पोल के लिए तमाम एजेंसियां वोट डालने के तुरंत बाद वोटर्स से उनकी राय जानती हैं और उन्हीं रायों के आधार एग्जिट पोल के नतीजे तैयार किए जाते हैं। भारत में जहां चुनाव विकास से लेकर जाति-धर्म जैसे तमाम मुद्दों पर लड़ा जाता है, ऐसे में मतदाता ने किसको वोट दिया है, यह पता करना आसान नहीं है। साथ ही मतदाता इस सवाल का सही जवाब भी अमूमन नहीं देते कि उन्होंने किसे वोट दिया। इस वजह से एग्जिट पोल्स के नतीजे पूरी तरह सटीक नहीं बैठ पाते।
ये थे पिछले चुनाव में एग्जिट पोल अनुमान
टाइम्स नाउसीएनएक्स
भाजपा 85 सीटें
कांग्रेस 105 सीटें
अन्य 09 सीटें
आज तक-एक्सिस
माय इंडिया
भाजपा 63 सीटें
कांग्रेस 130 सीटें
अन्य 06 सीटें
रिपब्लिक-जन
की बात
भाजपा 93 सीटें
कांग्रेस 91 सीटें
अन्य 15 सीटें
रिपब्लिक-सी वोटर
भाजपा 60 सीटें
कांग्रेस 137 सीटें
अन्य 02 सीटें