Rajasthan Election 2023: कांग्रेस के युवा नेता हरीश चौधरी वर्ष 2009 के चुनाव में बाड़मेर संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुए। उन्होंने भाजपा के नवेन्द्र सिंह को पराजित किया। लेकिन वर्ष 2014 के चुनाव में वह उनके पिता जसवंत सिंह तथा कर्नल सोनाराम के मुकाबले चुनाव हार गए। लोकसभा •चुनाव में पराजित होने के पश्चात उन्होंने भी विधानसभा का रुख किया। बायतू विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 2018 के चुनाव में भाजपा के कैलाश चौधरी को 13 हजार 803 मतों के अंतर से पराजित करने में सफल रहे। हरीश चौधरी को गहलोत मंत्रिमंडल में स्थान मिला।
त्यागपत्र देने के पश्चात उन्हें पंजाब में प्रभारी बनाया गया। वर्ष 2023 के चुनाव में हरीश चौधरी बायतू क्षेत्र से पुनः किस्मत आजमा रहे हैं। जिले की चुनावी राजनीति के नए चेहरों की विधानसभा तक चुनावी दौड़ कब लोकसभा तक नापी जा सकेगी- इसका इंतजार रहेगा। राजस्थान के सीमावर्ती जिले बाड़मेर में प्रथम आम चुनाव से हवा का रुख देखकर विधायक सांसद बनने की परम्परा रही है, जिसका अभी तक निर्वाह बरकरार है। केन्द्र और राज्य की राजनीति में दखल देने वाले राजनेताओं में दिवगंत तनसिंह एवं वृद्धिचंद जैन की भागीदारी के साथ इनकी कुल संख्या पांच हो गई है। अपनी सियासी साख के दांवपेच में इन हस्तियों ने लोकसभा-विधानसभा में अदला-बदली की।
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राजपूत समुदाय के क्षत्रियों के सामाजिक संगठन के संस्थापक तनसिंह वर्ष 1952 एवं 1957 के आम चुनाव में बाड़मेर सेविधायक निर्वाचित हुए। दोनों चुनाव वह राम राज्य परिषद के बैनर पर लड़े। दस साल तक विधायक रहने के पश्चात उन्होंने लोक सभा का रुख किया। वह 1962 के तीसरे आ मचुनाव में बाड़मेर संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुए। फिर लम्बी चुप्पी। आपातकाल के पश्चात वर्ष 1977 के लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी ने तनसिंह को चुनाव मैदान में उतारा। उन्होंने 64.10 प्रतिशत वोट लेकर कांग्रेस के खेतसिंह राठौड़ को 88 हजार 325 वोट से पराजित किया। अपने पहले लोकसभा चुनाव में रामराज्य परिषद के बैनर पर उन्होंने कांग्रेस पार्टी के ओंकार सिंह को 27 हजार 711 मतों के अंतर से परास्त किया। तब उन्हें 51.90 प्रतिशत वोट मिले।
तनसिंह और कांग्रेस के वृद्धिचंद जैन का चुनावी मुकावला प्रथम आम चुनाव से हुआ। वह 1952 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में तनसिंह से पराजित हुए। पहली बार बाड़मेर से वर्ष 1967 में निर्वाचित विधायक वृद्धिचंद जैन लगातार तीन चुनाव जीतने में सफल रहे। वर्ष 1980 के चुनाव से उन्होंने भी लोकसभा में पहला कदम रखा। इस बार उन्होने बतौर कांग्रेस प्रत्याशी 43.72 प्रतिशत मत लेकर पूर्व जैसलमेर रियासत के चन्द्रवीर सिंह को 37 हजार 977 वोटों के अंतर से पराजित किया। वर्ष 1984 के चुनाव में उन्होंने लोकदल प्रत्याशी गंगाराम चौधरी को एक लाख 6713 मतों से पराजित किया लेकिन 1989 के चुनाव में जनतादल के कल्याण सिंह कालवी से डेढ़ लाख से अिधक मतों से मात खा बैठे। वृद्धिचंद जैन 1998 में पुनः विधायक बन गए।
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पहले विधायक फिर सांसद बने कै लाश चौधरी
बाड़मेर जिले की राजनीति में नए चेहरे के रूप में भाजपा के टिकट पर कै लाश चौधरी ने 2008 में बायतू क्षेत्र से पहला चुनाव लड़ा और कांग्रेस के कर्नल सोनाराम से 36 हजार 418 वोटों से पराजित हो गए। • अगले वर्ष 2013 के चुनाव में वे 13 हजार 974 मतों से कर्नल सोनाराम कसे हराने में सफल रहे। लेकिन 2018 में कांग्रेस के हरीश चौधरी से 13 हजार 803 वोट से पराजित हो गए। भाजपा ने कै लाश चौधरी को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बाड़मेर से उतारा। उन्होने तब कांग्रेस प्रत्याशी मानवेन्द्र सिंह को 3 लाख 23 हजार मतों से पराजित किया।
गुलाब बत्रा, वरिष्ठ पत्रकार