Rajasthan Election 2023: राजस्थान के चार राजनेताओं को मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए राजस्थान विधानसभा के उपचुनावों का सहारा लेना पड़ा। इनमें कांग्रेस के जगन्नाथ पहाड़िया सर्वाधिक मतों के अंतर से विजयी हुए। अशोक गहलोत, भैरों सिंह शेखावत और जयनारायण व्यास का नम्बर इसी क्रम से है। राज्य में अब तक हुए 97 उपचुनावों में तेरह महिलाओं को सफलता मिली है। स्वाधीनता के पश्चात वर्ष 1952 प्रथम आम चुनाव में शेरे राजस्थान के नाम से चर्चित कवि पत्रकार जयनारायण व्यास ने जोधपुर एवं जालोर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा। उनका सामना निर्दलीय प्रत्याशी एवं पूर्व राजपरिवार के हनवंत सिंह से था। व्यास दोनों निर्वाचन क्षेत्रों से पराजित हुए। बाद में अजमेर जिले के किशनगढ़ क्षेत्र से निर्वाचित विधायक के त्यागपत्र से रिक्त सीट के लिए व्यास ने चुनाव लड़ा।
जयनारायण व्यास ने निर्दलीय अमरदान को केवल 2211 मतों से पराजित किया। व्यास को 10 हजार 220 वोट मिले।आपातकाल के पश्चात 1977 में केन्द्र में प्रथम बार गठित गैर कांग्रेस सरकार ने राज्यों में कार्यरत कांग्रेस सरकारों को बर्खास्त किया। हरिदेव जोशी सरकार की बर्खास्तगी के पश्चात जनता पार्टी विधायक दल के नेता के चुनाव में तत्कालीन जनसंघ के नेता भैरोसिंह शेखावत ने मास्टर आदित्येन्द्र को पराजित किया।
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मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए बारां जिले के छबड़ा से चुने गए प्रेम सिंह सिंघवी से त्यागपत्र दिलवाया गया। शेखावत ने 18 अक्टूबर 1977 को सम्पन्न उपचुनाव में कांग्रेस के रामप्रसाद को 32945 मतों के अंतर से पराजित किया। शेखावत को 40905 वोट तथा कांग्रेस प्रत्याशी को 7960 वोट मिले। देश का राजनीतिक परिदृश्य फिर बदला। मोरारजी देसाई की अगुवाई में बनी सरकार अर्न्तविरोध के चलते टिक नहीं सकी। वर्ष 1980 के चुनाव में पुनः इंदिरा गांधी की कांग्रेस सरकार बनी। इस सरकार ने भी जनता पार्टी नीत सरकारों को बर्खास्त किया।
शेखावत मंत्रिमंडल की बर्खास्तगी हुई और केन्द्रीय मंत्री जगन्नाथ पहाड़िया को पार्टी हाईकमान ने मुख्यमंत्री पद का दायित्व सौंपने की पहल की। वैर विधानसभा क्षेत्र में 23 नवम्बर 1980 को सम्पन्न उपचुनाव में पहाड़िया ने रिकॉर्ड तोड़ वोटों के अंतर से जीत हासिल की। उन्होंने सत्यपाल को 58879 मतों के भारी भरकम अंतर से पराजित किया। पहाड़िया को 61 हजार 553 वोट मिले जबकि प्रतिद्वंदी को केवल 2674 मत प्राप्त हुए। पहाड़िया अल्प अवधि तक अपने पद पर रहे। उनके स्थान पर अप्रत्याशित रूप से शिवचरण माथुर की ताजपोशी हुई। अब तक हुए 97 उपचुनावों में कांग्रेस को 59 बार सफलता मिली है।
पांच हजार से अधिक मतों के अंतर से जीतने वाले कुल 51 प्रत्याशी हैं। इनमें 27 प्रत्याशी दस हजार तथा 12 प्रत्याशी 20 हजार से भी अधिक वोटों से जीत कर चुके हैं। एक दर्जन से भी अधिक ऐसे क्षेत्र हैं जहां दो या अधिक बार उपचुनाव हुआ है लेकिन प्रथम विधानसभा मे 17 स्थानों पर उपचुनाव का कीर्तिमान कायम है।
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गहलोत के लिए देवड़ा ने छोड़ी थी सीट
अब कहानी वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जो तीसरी बार शासन सत्ता की बागडोर संभाल रहे हैं। वर्ष 1998 के चुनाव के समय गहलोत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर अधिक थे। शेखावत सरकार की लगातार दूसरी पारी के खिलाफ एन्टी इन्कंबेंसी में कांग्रेस 156 सीटो के बहुमत से जीती। पार्टी हाईकमान की इच्छानुरूप गहलोत पहली बार मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए।
जोधपुर के सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक मानसिंह देवड़ा ने त्यागपत्र दिया और 22 फरवरी 1999 को सम्पन्न चुनाव में गहलोत 49280 वोटों के अंतर से विजयी घोषित किए गए। गहलोत को 69856 वोट तथा भाजपा प्रत्याशी मेघराज लोहिया को 20 हजार 576 मत मिले। बाद में देवड़ा को राजस्थान आवासन मंडल का अध्यक्ष बनाया गया। दूसरी एवं तीसरी पारी के मुख्यमंत्री कार्यकाल में गहलोत सरदारपुरा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।