वाशिंगटन। पृथ्वी की सतह पर 71 फीसदी हिस्सा पानी से ढंका होने के बावजूद इसकी उत्पत्ति एक रहस्य का विषय है। अब कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने इस रहस्य के खुलासे में एक और कदम बढ़ाया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक पृथ्वी का निर्माण सूखी चट्टानों से हुआ था, जाहिर है पानी बाद में आया होगा। अनुमान है कि पृथ्वी 4.5 अरब वर्ष पुरानी है और वैज्ञानिक अभी भी यह जानने में लगे हैं कि आखिर इसका निर्माण कैसे हुआ? इस अध्ययन का एक तरीका पृथ्वी के आंतरिक भाग में गर्म मैग्मा की जांच करना है।
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काफी देर से आया पानी
हालिया अध्ययन में वैज्ञानिकों नेग्रह की गहराई में पानी सहित अस्थिर रसायनों की कमी का पता लगाया है। शोधकर्ता इसी कारण मानते हैं कि हमारा ग्रह जब एक सख्त चट्टान बना तब यह पूरी तरह सूखा था। इसके जरिए वह पृथ्वी समेत सौर मंडल के अन्य चट्टानी ग्रहों केनिर्माण का पता लगा सकें गे। इस स्टडी का नेतृत्व करनेवाले डॉ. फ्रेंकोइस टिसोट ने कहा, ‘स्पेस एक्स्प्लोरेशन बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि पानी वाली दुनिया ही संभवतः जीवन की खोज की सबसे अच्छी जगह है।’
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जमीन के नीचे छिपे हैं सबूत!
मैग्मा पृथ्वी की अलग-अलग गहराई में होते हैं। ऊपरी मेंटल 15 किमी गहराई से शुरू होता है और लगभग 680 किमी तक फै ला होता है। निचला मेंटल 680 किमी से 2900 किमी कोर मेंटल की सीमा तक फै ला होता है। पृथ्वी का निर्माण तुरंत नहीं हुआ, बल्कि समय के साथ अलग-अलग सामग्रियों के आपस में मिलने से इसका विकास हुआ। निचला मेंटल और ऊपरी मेंटल पृथ्वी के निर्माण से जुड़ी जानकारी दे सकते हैं।