जिनेवा। ‘लिसनिंग वाॅइस’ की नई स्टडी के मुताबिक दाएं कान की बजाय अगर कोई अच्छी बात या हंसी बाईं ओर से सुनाई दे तो मस्तिष्क पर उसका ज्यादा असर होता है। इससे ब्रेन के ऑडिटरी सिस्टम में न्यूरल एक्टिविटी बढ़ जाती है, जिसका हैप्पी हॉर्मोन्स से संबंध है। शोध में शामिल स्विस यूनिवर्सिटी की डॉ. सेन्ड्रा दी कोस्टा और टीम ने 13 लोगों पर स्टडी की।
इसके लिए फंक्शनल मैग्नेटिक रिजॉनेंस इमेजिंग (एमआरआई) तकनीक की मदद ली गई। वो दाएं-बाएं दोनों कानों में पड़े। इसी दौरान दिखा कि लेफ्ट साइड में आ रही हर अच्छी बात पर दिमाग तुरंत प्रतिक्रिया देता है। यहां तक कि अगर कोई अच्छा संगीत लेफ्ट साइड में चल रहा हो तो भी उसका तेज असर होता है, वनिस्पत दाईं ओर बजते संगीत से।
इमोशनल टोन को पहचानता है लेफ्ट ईयर
बाएं कान से इमोशन का संबंध पहले भी दिखता रहा है। ब्रेन एंड लैंग्वेज जर्नल में इस बारे में कई अध्ययन साल 2000 से ही छपते रहे। बायां कान किसी आवाज की इमोशनल टोन को पहचानता है। वो समझ पाता है कि सामान्य पिच पर बात करते हुए भी कोई गुस्सा हो रहा है, या खुशी जता रहा है। यहां से वो सूचना लेकर ब्रेन के दाहिने हेमिस्फेयर तक ले जाता है। तब जाकर उस बात के मुताबिक प्रतिक्रिया होती है।
कई तरह के हो चुके हैं प्रयोग
ऐसा क्यों होता है, इस बारे में रिसर्चर पुख्ता नहीं हैं। हालांकि, माना जा रहा है कि इस बारे में बड़ा सैंपल साइज लेकर स्टडी करने पर कुछ नई बातें निकलकर आएंगी, जिनका गहरा संबंध ह्मन यू हेल्थ से हो सकता है। वैसे ही साउंड पॉल्यूशन बढ़ने के साथ ही कानों पर कई प्रयोग हो रहे हैं, जो बताते हैं कि कितनी आवाज का मस्तिष्क पर क्या असर होता है। कई अध्ययन ये भी बताते हैं कि हर 5 डेसिबल की बढ़त से हार्ट अटैक का जोखिम कितने प्रतिशत तक बढ़ता है।