अगली सदी में मर जाएंगे एक अरब लोग, जलवायु परिवर्तन बनेगा कारण 

कितना खतरनाक साबित हो सकता है जलवायु परिवर्तन (climate change)? यह चौंकाने वाला तथ्य यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ओंटारियो में हुए विश्लेषणात्मक अध्ययन में पता चला है।

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ओंटारियो। कितना खतरनाक साबित हो सकता है जलवायु परिवर्तन (climate change)? यह चौंकाने वाला तथ्य यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ओंटारियो में हुए विश्लेषणात्मक अध्ययन में पता चला है। इसमें दावा किया गया है कि अगर ग्लोबल वार्मिंग का स्तर 2 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक हो जाता है तो अगली एक सदी में एक अरब लोग मारे जाएंगे। 

अध्ययन में स्पष्ट रेखांकित किया है कि इस विनाशक स्थिति के लिए ज्यादा अमीर लोग जिम्मेदार होंगे और इसके सबसे अधिक भुक्तभोगी होंगे। शोधकर्ताओं ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि समस्या से निपटने के लिए सरकारों और नीति नियंताओं को आक्रामक ऊर्जा नीतियां अपनानी होंगी।

आंकड़े अगली पीढ़ी के लिए डरावने 

अध्ययन में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण अगले सौ सालों में एक अरब असामयिक मौतें हो जाएंगी। अध्ययन के प्रमुख लेखक जोशुआ पियर्स का कहना कि इतनी बड़ी संख्या में एक साथ मौत तो नहीं होगी, फिर भी आंकड़े अगली पीढ़ी के लिए डरावने हैं। जब जलवायु वैज्ञानिक अपने प्रतिमान चलाते हैं तो वे ज्यादा चिंताजन आंकड़े देने से बचते हैं और इस अध्ययन में ऐसा करने पर भी शोधकर्ताओं को ऐसे आंकड़े मिले हैं।

कम हो कार्बन का उत्सर्जन 

आज भी यह जानते हुए कि कार्बन उत्सर्जन कितना खतरनाक है, तेल और गैस उद्योग वैश्विक कार्बन उत्सर्जन का 40 फीसदी भागीदार है। इस उद्योग अरबों लोग प्रभावित होते हैं, जिनमें दूर दराज और कम संसाधन वाले समुदाय प्रमुख हैं। शोधकर्ताओं ने सरकार, कॉर्पोरेट और नागरिकों से अनुरोध किया है कि उन्होंने कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए तुरंत प्रभावी आक्रामक ऊर्जा नीतियां अपनी चाहिए।

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