दुनिया के लिए रहस्य बना ‘धरती के अंदर का प्रवेश द्वार’, जलवायु परिवर्तन से बढ़ा खतरा, वैज्ञानिक चिंतित

रूस से एक ड्रोन फुटेज में यह नजर आया है कि वहां स्थित बटागाइका क्रेटर अब पिघलने लगा है।

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बटागाई। रूस से एक ड्रोन फुटेज में यह नजर आया है कि वहां स्थित बटागाइका क्रेटर अब पिघलने लगा है। देश के पूर्वी हिस्से में यह दुनिया का सबसे बड़ा पर्माफ्रॉस्ट क्रेटर है। इसके कारण वैज्ञानिकों की चिंताएं बढ़ गई हैं क्योंकि यह बताता है कि उत्तर और उत्तर पूर्वी शहरों और कस्बों में जलवायु परिवर्तन के कारण खतरा किस कदर बढ़ रहा है। 

पर्माफ्रॉस्ट क्रेटर सन् 1960 के दशक में आसपास के जंगल साफ होने के बाद बनना शुरू हुए थे। यह जगह जीरो डिग्री तापमान पर तैयार होती है। पर्माफ्रॉस्ट पिघलने की वजह से यहां की जमीन धंसने लगी है। इसकी वजह से एक विशाल गड्ढा हो गया है। नासा के अनुसार पर्माफ्रॉस्ट कोई भी जमीन है जो लगातार कम से कम दो साल तक जीरो डिग्री सेल्सियस पर पूरी तरह से जमी रहती है।

धरती का प्रवेश द्वार 

स्थानीय लोग इस एक किमी लंबे विशाल स्थल को ‘धरती के अंदर का प्रवेश द्वार’ कहते हैं। यह गड्ढा जो पहली बार सन् 1960 के दशक में दिखाई देना शुरू हुआ था। इसके कारण जमीन की बर्फ खत्म हो गई थी। परिणामस्वरूप धरती का क्षरण हुआ और जमीन धंस गई। साइंटिस्ट एरेल स्ट्रुचकोव ने बताया कि स्थानीय लोग इसे जमीन के अंदर छिपी हुई गुफा कहते हैं। स्थानीय लोगों ने भी गड्ढे के तेजी से बढ़ने पर ध्यान दिया है।

अगर पिघल गया तो खतरनाक 

कनाडा, अलास्का, साइबेरिया और कुछ और जगहों पर भी सर्कं पोलर क्षेत्रों में भी यह पर्माफ्रॉस्ट हैं। अगर यह पिघलता है तो यह बड़ी मात्रा में इस गैस को छोड़ सकती है। इसकी वजह से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या बढ़ सकती है। जैसे- जैसे तापमान बढ़ेगा, यह पिघल जाएगा और कार्बन और मीथेन जैसी गीगा-टन गैसों के साथ-साथ कई हजार साल पुराने वायरस और बैक्टीरिया भी छोड़ेगा, जो पूरी दुनिया के लिए खतरनाक साबित होगा।

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