वाशिंगटन। वर्तमान में वैज्ञानिक ऐसे ही शक्कर अणुओं की तलाश में हैं, जो सीखने और याददाश्त को प्रभावित कर सकते हैं। चूहों पर किए गए अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि वे इस जानकारी के उपयोग से इंसानी दिमाग की प्लास्टिसिटी को समझ सकेंगे, जिससे कई तरह के फायदे हो सकते हैं। शोधकर्ता यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या गैग्स दिमाग की चोट के बपाद तंत्रिकों को बहाल कर सकते हैं। उनका कहना है कि उन्होंने ऐसे सल्फेशन मोटिफ्स की पहचान कर ली है, जिससे कोशिका की सतह पर रिसेप्टर्स जमा हो जाते हैं और पुनर्निर्माण रोक देते हैं। अब वे यही प्रक्रिया किसी उपकरण या उपचार के जरिए दोहराना चाहते हैं। उनका मानना है कि इस प्रक्रिया की बेहतर समझ उन्हें घाव भरने की प्रणाली विकसित करने में मददगार होगी।
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शक्कर का मस्तिष्क पर पड़ता है असर
अमेरिकन के मिकल सोसाइटी (ऐसीएस) फॉल 2023 मीटिंग में प्रस्तुत किए गए इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने यही उम्मीद जताई है कि चूहों पर हुए प्रयोग की सफलता के बाद शक्कर के बदले हुए स्वरूप इंसान के तंत्रिका तंत्र की घाव और न्यूरोजेनेरेटिव विकारों के उपचार में कारगर हो सकते हैं। दरअसल, शक्कर विभिन्न स्वरूपों मेंमस्तिष्क पर अलगअलग तरह से असर डालती है।
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चूहों पर प्रयोग से जगी उम्मीद
इस प्रयोग में शोधकर्ताओं ने चूहों में एक खास तरह की जीन को डिलीट कर दिया, जो कि गैग कोन्ड्रॉइटिन सल्फेट के दो सल्फेशन पैटर्न के लिए अहम है। इससे तंत्रिकाओं के बीच के सिनिप्टकि संपर्कों में प्रकार में बदलाव आ गया। इसके बाद शोधकर्ताओं को चूहों की याददाश्त में कमी देखने को मिली। उन्हें उम्मीद है कि इस जानकारी का उपयोग मेमोरी बेहतर करने के लिए किया जा सकता है। अब वे यह देख रहे हैं कि क्या गैग्स और सल्फेट पैटर्न दिमाग में चोट के बाद तंत्रिकाओं के पुनर्निर्माण की क्षमता को बेहतर कर सकते हैं या नहीं।