Sheikh Hasina : ढाका। बांग्लादेश की वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी ने एक बार फिर आम चुनावों में शानदार जीत दर्ज की है। इस जीत के साथ ही वे 5वीं बार देश की कमान संभालेंगी। शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने जहां 222 सीटें जीतीं वहीं निर्दलीय उम्मीदवारों को 63 सीट पर कामयाबी हासिल हुई। गोपालगंज के उपायुक्त और रिटर्निंग ऑफिसर काजी महबुबुल आलम ने नतीजे की घोषणा की।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री और अवामी लीग प्रमुख शेख हसीना गोपालगंज-3 निर्वाचन क्षेत्र से फिर से संसद के लिए चुनी गईं। 76 वर्षीय हसीना को 249,965 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी बांग्लादेश सुप्रीम पार्टी के एम निजाम उद्दीन लश्कर को सिर्फ 469 वोट मिले। हसीना ने 1986 के बाद से आठवीं बार गोपालगंज-3 सीट जीती है। गौरतलब है कि संसद की 300 सीटों के लिए रविवार को मतदान हुआ था। छिटपुट हिंसा, मुख्य विपक्षी पार्टी बीएनपी के बहिष्कार के बीच कुल 40 प्रतिशत वोटिंग दर्ज की गई थी।
कौन है शेख हसीना?
शेख हसीना का जन्म सितंबर 1947 में उस वक्त के पूर्वी बंगाल के टुंगीपारा में बंगाली मुस्लिम शेख परिवार में हुआ था। हसीना का बचपन मां और दादी के देखरेख में टुंगीपारा में बीता। बाद में हसीना का परिवार ढाका चला आया और यहां सेगुनबागीचा में रहने लगे। हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान बंगाली राष्ट्रवादी नेता थे और उनकी मां का नाम बेगम फाजीलातुनेसा मुजीब था। पाकिस्तान बनने के बाद शेख मुजीबुर सरकार में मंत्री रहे। हसीना ने टुंगीपारा से शुरुआती शिक्षा के बाद ढाका के आजीमपुर गर्ल्स स्कूल से पढ़ाई की।
काफी संघर्षभरा रहा राजनीतिक करियर
हसीना ने कॉलेज के दिनों में छात्र राजनीति से शुरूआत की। वो इडेन कॉलेज में स्टूडेंट यूनियन का वाइस प्रेसिडेंट भी चुनी गईं। इससे बाद साल 1980 के आखिर में शेख हसीना बांग्लादेश की राजनीति में लौटी। हसीना ने बीटीपी नेता खालिदा जिया के साथ राजनीति करियर की शुरूआत की। साल 1981 में हसीना पिता की पार्टी आवामी लीग की अध्यक्ष चुनी गई। साल 1996 में शेख हसीना ने जीत का स्वाद चखा और पहली बार प्रधानमंत्री बनी। एक अंतराल के बाद साल 2009 में शेख हसीना बांग्लादेश की सत्ता में फिर लौटी। इसके बाद से वो लगातार बांग्लादेश की पीएम है और अब वो लगातार चौथी बार फिर से बांग्लादेश की पीएम चुनी गई है।
शेख हसीना का भारत से खास लगाव
शेख हसीना का भारत से भी खास लगाव है। क्योंकि साल 1975 में शेख हसीना के पिता, मां और तीन भाई तख्तापलट में मारे गए थे। तब शेख हसीना और उनकी बहन रेहाना जर्मनी में थी। उस वक्त बांग्लादेश 15 साल तक सेना के कब्जे में रहा था। जर्मनी में बांग्लादेश के राजदूत हुमांयु रशीद चौधरी की गुहार पर भारत की तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने शेख हसीना और उनकी बहन को राजनीतिक शरण दी थी। साथ ही शेख हसीना के पति डॉक्टर वाजेद को परमाणु ऊर्जा विभाग में फेलोशिप दी थी। भारत सरकार ने शेख हसीना को पंडारा रोड के पास एक फ्लैट दिया था, वहां शेख हसीना अपने परिवार के साथ करीब छह साल तक रही थी।