टोक्यो। जापान के चंद्रमा लैंडर का संपर्क पृथ्वी से टूट गया है। स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून SLIM सौर ऊर्जा में खराबी के कारण बंद हो गया। इस कारण जापान का मिशन खतरे में पड़ गया है। सोलर पैनल में खराबी के कारण इसकी बैटरी चार्ज नहीं हो पा रही। लैंडर बंद होने की कोई आधिकारिक सूचना नहीं आई है, लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि बैट्री डिस्चार्ज हो चुकी होगी। हालांकि SLIM लैंडर के जरिए जापान का चंद्रमा मिशन कामयाब रहा।
जापान पहली बार लैंडर चंद्रमा की सतह पर पहुंचाने में कामयाब रहा। माना जा रहा है कि लैंडर का सोलर पैनल गलत दिशा में है। इस कारण इस पर रोशनी नहीं पड़ रही। अगले महीने सूर्य की दिशा बदलने की उम्मीद जताई जा रही है। अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख हितोशी कुनिनका ने स्थिति को समझाते हुए कहा था कि चंद्रमा पर सौर कोण बदलने में 30 दिन लगते हैं। ऐसे में जब सौर कोण बदलेगा तो प्रकाश दूसरी तरफ से आएगा। इससे प्रकाश सौर सेल से टकरा सकता है।
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अंतरिक्ष में जापान का कमाल
जापान चांद पर पहुंच कर उस एलीट स्पेस क्लब का हिस्सा बन गया जहां अभी तक सिर्फ चार देश थे। जापान से पहले रूस (सोवियत संघ), अमेरिका, चीन और भारत चांद पर जा चुके हैं। भारत केचंद्रयान-3 मिशन नेपिछले साल अगस्त में चंद्रमा पर लैंडिंग की थी। कई देश और कंपनियां चंद्रमा पर जाने की योजना बना रही हैं। नासा का भी लक्ष्य है कि एक बार फिर इंसान को चांद पर पहुंचाया जाए। वहीं भारत और जापान मिलकर चंद्रमा से जुड़ा मिशन चलाएंगे।
चांद पर लैंडर पहुंचाने वाला 5वां देश बना जापान
चांद पर लैंडिग के जरिए जापान ने अंतरिक्ष विज्ञान में एक नया इतिहास रच दिया था। जापान चांद पर लैंडर पहुंचाने वाला पांचवां देश बन गया, लेकिन इस दौरान यह जहां उतरा वहां छाया आ रही थी। हालांकि जापान का मिशन कुछ हद तक कामयाब रहा। इस लैंडर को मून स्नाइपर कहा जाता है, क्योंकि यह सटीक लैंडिंग कर सकता है। जहां दूसरे स्पेसक्राफ्ट को लैंडिंग केलिए कई किमी का एरिया दिया जाता है। जापान के स्लिम लैंडर ने सिर्फ 100 मीटर के एरिया में सटीक लैंडिग की थी।
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