तेल अवीव। नए साल 2024 में भी इजराइल और हमास की जंग जारी है। इस बीच, इजराइली डिफेंस फोर्सेस (IDF) के हवाले से बड़ी खबर सामने आई है। इजराइल से हमास को बड़ा झटका लगा है। IDF की रिपोर्ट के मुताबिक- गाजा में जंग के दौरान इजराइली सेना ने हमास के शीर्ष कमांडरों में से एक सालेह अल अरौरी को लेबनान में मार गिराया है। इजराइली सेना ने दक्षिण बेरूत में आतंकियों के कार्यालयों को निशाना बनाया था, इस दौरान ड्रोन से भी हमले किए गए थे। इसी दौरान सालेह अल अरौरी हमले में ढेर हो गया है।
हमास ने भी अपने आधिकारिक चैनल पर सालेह की मौत की पुष्टि कर दी है। हमास ने इस हमले को कायतापूर्ण कहा। वहीं, लेबनान के प्रधानमंत्री ने भी हमले की निंदा की है और कह डाला कि लेबनान को इजरायल और हमास के बीच युद्ध में घसीटा जा रहा है। वहीं, सालेह की मौत पर इजरायल में जश्न का माहौल है। हालांकि, इजरायल ने इस हमले की जिम्मेदारी अभी नहीं ली लेकिन, नेतन्याहू के सलाहकार ने यह जरूर कहा कि जिसने भी ये किया, हमास पर सर्जिकल स्ट्राइक कर दी है।
सालेह अल हमास की सैन्य शाखा के संस्थापक सदस्यों में से एक था, जो इजराइली सेना की हिट लिस्ट में शामिल था। सालेह अल ने वेस्ट बैंक में हमास का नेतृत्व भी किया था। अब तक मारे गए हमास के नेताओं में सालेह अल सबसे बड़ा नेता है। हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि अरौरी की मौत किसी बम धमाके में हुई है या फिर यह ड्रोन हमला था।
अल-मनार ने बताया कि इजरायली हमले का निशाना अल अरौरी ही था। इजरायल ने पहले ही उसको मोस्ट वांटेड की लिस्ट में शामिल कर रखा था। लेबनानी मीडिया अल मनार और अल-मायादीन चैनल ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि यह विस्फोट हमास के कार्यालय को निशाना बनाकर किया गया था।
1966 में वेस्ट बैंक के रामल्ला में हुआ जन्म
सालेह अल अरौरी का जन्म 1966 में वेस्ट बैंक के रामल्ला में हुआ था, वो हमास के राजनीतिक ब्यूरो के उप प्रमुख के साथ ही फिलिस्तीनी समूह की सशस्त्र शाखा कसम ब्रिगेड के संस्थापकों में से एक थे। करीब 15 सालों तक सालेह अल इजराइल की जेल में बंद रहा। फिलहाल, अल अरौरी लंबे समय से लेबनान में निर्वासन की जिंदगी बिता रहा था। जंग के दौरान इजराइली सेना ने रामल्ला के पास उनके घर को निशाना बनाकर तबाह कर दिया था।
अमेरिका ने रखा था 5 मिलियन डॉलर का इनाम…
2015 में अमेरिकी सरकार ने सालेह अल अरौरी को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था, इसके साथ ही सालेह अल के बारे में किसी भी तरह की कोई भी जानकारी देने वाले को 5 मिलियन डॉलर का इनाम देने की घोषणा भी की थी। वो हमास के लिए फाइनेंसर होने और 1987 से उसे हथियार भेजने की सुविधा प्रदान कर रहा था। जिसकी वजह से वो अमेरिका के निशाने पर था।
हमास आतंकियों का फाइनेंसर था अरौरी…
साल 2010 से अल अरौरी हमास के पोलित ब्यूरो का सदस्य था, जो 2014 में प्रमुखता से उभरा। इजराइल और अमेरिका का मानना है कि सालेह अल हमास के आतंकियों का फाइनेंसर था साथ ही आतंकियों को प्रशिक्षण भी देता था। गौरतलब है कि इजराइली लगातार हमास के ठिकानों पर हमले कर रहा है। उसने गाजा पट्टी के ज्यादातर हिस्से को हवाई हमलों से तबाह कर दिया है। इजराइल की इस कार्रवाई में अब तक करीब 22 हजार फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत हो चुकी है।