टोक्यो। जापान के चंद्र मिशन स्लिम की जान संकट में है। यह चांद पर ऐसी जगह पर उतरा है जहां पर अभी अंधेरा है। इसलिए इसके सोलर पैनल काम नहीं कर रहे हैं और बिजली नहीं बन रही है। यही वजह है कि जापान ने अपने मून लैंडर स्लिम को चांद की सतह पर उतरने के करीब 3 घंटे बाद स्विच ऑफ कर दिया। जापानी स्पेस एजेंसी जाक्सा ने कहा है कि अब जब चांद के इस इलाके में सूरज की किरणें पड़ेंगी तब वे इसे फिर से ऑन कर देंगे। इससे जापानी मिशन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इसके लिए जाक्सा ने भारत के चंद्रयान-2 की मदद लेना शुरू कर दिया है। यही नहीं जापानी एजेंसी ने स्लिम की पहली तस्वीर भी जारी की है।
अभी ऊर्जा बनने की पुष्टि नहीं: हालांकि चांद पर
शनिवार को लैंडिंग के 20 मिनट बाद ही जाक्सा इस बात की पुष्टि नहीं कर पाई कि स्लिम की सोलर बैटरी से ऊर्जा बन रही है या नहीं। इस बीच जाक्सा ने रिमोट के जरिए लैंडर को बंद तो कर दिया, लेकिन उन्हें चांद की सतह के कई तस्वीरों का डेटा मिल गया। जाक्सा ने कहा कि उन्हें काफी डेटा मिल गया है। जापानी एजेंसी ने कहा कि जब पश्चिमी की ओर से सूरज की किरणें आएं गी तो स्लिम फिर से काम करने लगेगा। अभी जापानी यान में केवल 12 प्रतिशत बैटरी ही बची है।
चंद्रयान-2 की तस्वीरों से मिली मदद
चंद्रयान की ली गई तस्वीरों की मदद से जाक्सा के स्लिम को चांद पर सटीक तरीके से उतारने में मदद मिली थी। इसके अलावा कहां पर स्लिम को उतारना है, इसका फै सला भी जाक्सा ने चंद्रयान-2 की तस्वीरों के आधार पर तय किया था। बता दें कि भारत और जापान के बीच लूनर पोलर खोज मिशन लूपेक्स चल रहा है ताकि चांद पर शोध को मिलकर बढ़ावा दिया जा सके। जापान के स्लिम मिशन को ‘मून स्नाइपर’ भी कहा जाता है। जापान पांचवां ऐसा देश है जिसने चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की है।