वाशिंगटन। हाल ही में किए एक शोध से पता चलता है कि एक बेहद अजीब, पलक झपकाने वाली मछली में यह राज छिपा हो सकता है कि प्राचीन जानवरों ने जमीन पर रहने की क्षमता कैसे विकसित की मडस्किपर्स मछली की एक उपप्रजाति है, जो जमीन और पानी दोनों में रहती है।
यह एकमात्र ऐसी मछली है जो अपनी पलकें झपका सकती है। यह क्षमता उन्हें हमारे पूर्वजों से मिली है। कन्वर्जेंट इवॉल्यूशन की अवधारणा के इस उदाहरण की स्टडी से पता चल सकता है कि हमारे आिदम पूर्वज पानी से निकलकर किनारों पर कैसे पहुंचे।
मछली ने खुद विकसित किया यह व्यवहार
इस शोध के सह-लेखक थॉमस स्टीवर्ट का कहना है इस बात का पता करना कि पलक झपकाना पहली बार कैसे विकसित हुआ, चुनौतीपूर्ण रहा, क्योंकि वह संरचनात्मक बदलाव जिनकी वजह से पलकें झपकती हैं, ज्यादातर सॉफ्ट टिश्यू में होते हैं, जो जीवाश्म में संरक्षित नहीं हो पाते।
मडस्किपर ने अपने पलक झपकाने वाले व्यवहार को स्वतंत्र रूप से विकसित किया है। उसके व्यवहार से समझ पाएंगे कि उसमें पलक झपकाना कैसे और क्यों विकसित हुआ होगा।
वैज्ञानिकों ने ऐसे किया शोध
मडस्किपर की आंखे मेंढ़क की तरह होती हैं। शोधकर्ताओं ने मडस्किपर के टैंक में हाईस्पीड कैमरे लगाए, ताकि यह पता चल सके कि यह मछली पानी और जमीन के बीच कैसे आती-जाती है। मडस्किपर आमतौर पर टाइड पूल्स के आसपास रहती हैं और जब यह पानी में नहीं होतीं, तब अपने पंखों से जमीन पर चलती हैं। शोधकर्ताओं ने उन जगहों को ट्रैक किया, जहां मछली पलकें झपकाती थी। जब वह हवा में होती, तो अक्सर पलकें झपकाती थी।
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