नई दिल्ली। इस साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण शनिवार रात ( 28 अक्टूबर) को लगा था। वहीं इससे पहले 14 अक्टूबर 2023 को सूर्य ग्रहण दिखाई दिया। ज्योतिषियों के मुताबिक, एक ही माह में दो ग्रहण लगना बिल्कुल भी लाभकारी नहीं है। एक माह में दो ग्रहण पड़ना इसके लाभ और हानि का दूरगामी परिणाम होता है।
एक सप्ताह पहले दिखाई दिए चंद्र ग्रहण के दिन अयोध्या में श्रीरामजन्म भूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने भविष्यवाणी की थी। उन्होंने चंद्रगहण लगने की वजह से देश और दुनिया में भूकंप और तूफान आने की संभावना जताई थी। अभी इस बात को 7 दिन भी नहीं हुए थे कि शुक्रवार की देर रात वास्तव में भूकंप आया। इसके बाद लोग पुजारी की इस भविष्यवाणी को याद कर एक-दूसरे से पूछने लगे कि क्या चंद्रग्रहण और भूकंप के बीच कोई कनेक्शन है? जहां तक आधुनिक विज्ञान की बात है तो दोनों के बीच ऐसा कोई संबंध नहीं है। बता दें कि ऐसी जानकारी मान्यता पर आधारित होती है और ‘सच बेधड़क’ इसकी पुष्टि नहीं करता है।
हालांकि ग्रहण को लेकर तमाम तरह की मान्यताएं समाज में फैले होने की वजह से भूकंप और ग्रहण के आपसी संबंध होने की चर्चाएं रुक नहीं रही है। ज्योतिषों की मानें तो चंद्रग्रहण का सीधा संबंध भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा से होता है।
बता दें कि श्रीरामजन्म भूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने चंद्रग्रहण के दिन चेताया था कि चंद्रग्रहण लगने की वजह से इसका प्रभाव विभिन्न राशियों पर पड़ता है। किसी पर सकारात्मक तो किसी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वहीं ज्योतिषाचार्य पंडित नरेन्द्र उपाध्याय कहते हैं कि चंद्रग्रहण के बाद भूकंप आने की आंशका रहती है। चंद्रमा जल तत्व है। चंद्रग्रहण जल और समुद्र को प्रभावित करता है।
पृथ्वी के नीचे भी तरल पदार्थ हैं जिसमें अधिकांशत: पानी होता है। चंद्रग्रहण के समय चंद्रमा पृथ्वी के सबसे ज्यादा नजदीक होता है। इससे चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल समुद्री ज्वार को प्रभावित करता है और भूकंप का खतरा बढ़ जाता है। पहले भी चंद्रग्रहण के समय भूकंप की आशंकाएं व्यक्त की जाती रही हैं और चंद्रग्रहण के बाद भूकंप आया है।
देर रात हिल उठी धरती…
अगर ज्योतिषों की भविष्यवाणी की बात करें तो शनिवार की देर रात यूपी, दिल्ली-एनसीआर, बिहार और उत्तराखंड समेत देश के कई हिस्सों में भूकंप के तेज झटकों से धरती हिल उठी। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.4 मापी गई है। भूकंप का केंद्र नेपाल में था, जिसकी गहराई 10 किलोमीटर थी। लोगों ने दो से तीन झटके महसूस किए। गनीमत है कि फिलहाल किसी तरह के जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है।
नेपाल में भूकंप ने मचाई तबाही…
नेपाल में शुक्रवार रात आए शक्तिशाली भूकंप से भारी तबाही मचाई। नेपाली मीडिया के अनुसार, इस भूकंप से मरने वालों की संख्या 128 तक पहुंच चुकी है। वहीं, कई इमारतें गिरने से मलबे में दबने के कारण सैकड़ों लोग घायल हो गए है। नेपाल में आए शक्तिशाली भूकंप के झटके भारत तक महसूस किए गए। भूकंप का पहला झटका देर रात 11 बजकर 32 मिनट पर महसूस किया गया। भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक भूकंप का केंद्र नेपाल के जाजरकोट जिले के पैंक गांव में था। वहीं लखनऊ में देर रात झटके महसूस होते ही लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। हाईराइज सोसायटियों में लोग दहशत में आ गए और इन ऊंची इमारतों से नीचे उतरने के लिए आपाधापी मच गई। देखते देखते लोग सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर करने लगे।
ग्रहण की पौराणिक कथा ( Grahan Katha)
हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के मुताबिक, ग्रहण का संबंध राहु और केतु ग्रह से है। बताया जाता है कि समुद्र मंथन के जब देवताओं और राक्षसों में अमृत से भरे कलश के लिए युद्ध हुआ था। तब उस युद्ध में राक्षसों की जीत हुई थी और राक्षस कलश को लेकर पाताल में चले गए थे। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अप्सरा का रूप धारण किया और असुरों से वह अमृत कलश ले लिया था। इसके बाद जब भगवान विष्णु ने देवताओं को अमृत पिलाना शुरू किया तो स्वर्भानु नामक राक्षस ने धोखे से अमृत पी लिया था और देवताओं को जैसे ही इस बारे में पता लगा उन्होंने भगवान विष्णु को इस बारे में बता दिया। इसके बाद भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया।